मुंबई | वक्फ बोर्ड संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए आगामी 5 मई तक कानून पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने इस मामले में कुल 73 याचिकाओं में से फिलहाल केवल पांच याचिकाओं को सुनवाई के लिए स्वीकार किया है। इन याचिकाओं में मालाड (मुंबई उपनगर) के समाजसेवी जमील मर्चेंट की याचिका प्रमुख रूप से दूसरे नंबर पर शामिल है।
मालाड (मुंबई उपनगर) के समाजसेवी जमील मर्चेंटजमील मर्चेंट की याचिका को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई योग्य मानते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन को उनकी ओर से पक्ष रखने की जिम्मेदारी दी गई है। उनके अलावा, एआईएमआईएम नेता असुद्दीन ओवैसी, अरशद मदनी, मोहम्मद फ़जलू रहीम, और शेख नूर हसन की याचिकाओं को भी सुप्रीम कोर्ट ने विचार के लिए स्वीकार किया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवनवहीं, मुस्लिम संगठनों की ओर से इस मामले की पैरवी के लिए देश के नामचीन वकीलों में शामिल कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद, अभिषेक मनु सिंघवी, और हुफेजा अहमदी के नाम सामने आए हैं।
गौरतलब है कि 5 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद वक्फ संशोधन बिल को कानून में तब्दील किया जाना था। लेकिन मुस्लिम संगठनों, विभिन्न राजनीतिक दलों और कई राज्य सरकारों के विरोध के चलते मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। इस कानून को चुनौती देते हुए अब तक 73 याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं।
इस संवेदनशील मामले की पहली सुनवाई 16 अप्रैल को हुई थी, और अब अगली सुनवाई 5 मई 2025 को निर्धारित की गई है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को वक्फ बोर्ड संशोधन कानून के विरोधियों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।
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