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पतंग: 2300 साल पुरानी परंपरा का अद्भुत इतिहास

फोटो - सोशल मीडिया


पतंग, एक साधारण दिखने वाली वस्तु, अपने भीतर हजारों वर्षों का इतिहास, संस्कृति, और परंपराएं समेटे हुए है। यह केवल आसमान में उड़ने वाला कागज और डोर नहीं है, बल्कि मानव की उड़ने की लालसा, आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतीक है। पतंगों का यह अद्भुत इतिहास करीब 2300 साल पुराना है, जिसका आरंभ चीन से हुआ।

पतंग का जन्म और प्राचीन इतिहास

माना जाता है कि पतंग का आविष्कार चीन में ईसा पूर्व तीसरी सदी में हुआ था। चीनी दार्शनिक मो दी ने पहली पतंग बनाई थी। (पतंग का आविष्कार 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व के चीनी दार्शनिक मोजी (जिन्हें मो दी या मो ती भी कहा जाता है) और लू बान (जिन्हें गोंगशु बान या कुंगशु फान भी कहा जाता है) का था।)  उस समय पतंग बनाने के लिए रेशम के कपड़े, मजबूत रेशमी धागे, और हल्के व मजबूत बांस का इस्तेमाल किया जाता था। चीन में पतंगों का इस्तेमाल केवल खेल या मनोरंजन के लिए ही नहीं, बल्कि सैन्य उद्देश्यों और धार्मिक अनुष्ठानों में भी किया जाता था।

पतंग उड़ाने की कला धीरे-धीरे जापान, कोरिया, थाईलैंड, म्यांमार, भारत, अरब और उत्तरी अफ्रीका तक फैल गई। इस कला ने न केवल मनोरंजन का साधन प्रदान किया, बल्कि विभिन्न संस्कृतियों को आपस में जोड़ने का काम भी किया।

हिंदुस्थान में पतंग का आगमन

भारत में पतंग उड़ाने की परंपरा हजारों वर्षों पुरानी मानी जाती है। कुछ लोगों का मानना है कि चीन से आए बौद्ध तीर्थयात्रियों ने इसे भारत में लोकप्रिय बनाया। लगभग एक हजार वर्ष पूर्व संत नाम्बे के गीतों में पतंग का उल्लेख मिलता है। मुगल काल में पतंग उड़ाना शाही शौक बन गया था। अलग-अलग क्षेत्रों में पतंगों के विभिन्न नाम और शैली थीं, जो इस कला की व्यापकता को दर्शाती हैं।

पतंग और अंधविश्वास

पतंगों से जुड़ी अनेक मान्यताएं और अंधविश्वास भी प्रचलित हैं। चीन के किन राजवंश के दौरान पतंग उड़ाकर उसे अज्ञात छोड़ देना अपशकुन माना जाता था। किसी की कटी हुई पतंग को उठाना भी बुरा माना जाता था। थाईलैंड में पतंग धार्मिक अनुष्ठानों का हिस्सा थी। यहां के राजा और पुरोहित विशेष पतंग उड़ाकर देश में शांति और समृद्धि की प्रार्थना करते थे।

वैज्ञानिक और सांस्कृतिक महत्व

पतंग ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यूरोप में पतंग उड़ाने का चलन नाविक मार्को पोलो के माध्यम से शुरू हुआ। उन्होंने एशिया से यह कला यूरोप में पहुंचाई। ब्रिटेन के प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. नीडहम ने अपनी पुस्तक "ए हिस्ट्री ऑफ चाइनाज़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी" में पतंग को चीन की प्रमुख वैज्ञानिक खोजों में से एक बताया है। यह कहना गलत नहीं होगा कि पतंग ने मानव को उड़ने की प्रेरणा दी, जिससे विमान के आविष्कार की नींव पड़ी।

आज का परिप्रेक्ष्य

आज पतंग उड़ाना केवल एक खेल नहीं, बल्कि त्योहारों और मेलों का अहम हिस्सा है। भारत में मकर संक्रांति, उत्तरायण, और स्वतंत्रता दिवस जैसे अवसरों पर पतंगबाजी विशेष महत्व रखती है। यह न केवल आनंद और मनोरंजन का साधन है, बल्कि भाईचारे और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक भी है।

पतंग का इतिहास मानव इतिहास जितना ही पुराना और रोचक है। यह विभिन्न संस्कृतियों, परंपराओं और वैज्ञानिक उपलब्धियों को जोड़ने का माध्यम रही है। चाहे चीन का अतीत हो या भारत का वर्तमान, पतंग हमेशा से आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतीक रही है। आसमान में उड़ती पतंगें हमें बताती हैं कि उड़ने की चाह, नई ऊंचाइयों को छूने की लालसा, और सपनों को साकार करने का प्रयास कभी खत्म नहीं होना चाहिए।

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