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ईवीएम के खिलाफ मुलुंड में भूख हड़ताल, महाविकास आघाडी ने किया आंदोलन

मुंबई।  विधानसभा चुनावों के बाद एक बार फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज़ हो गए हैं। कांग्रेस ने मुलुंड विधानसभा क्षेत्र में महाविकास आघाडी के साथ मिलकर इस मुद्दे को लेकर विरोध की लहर चलाई। मुलुंड में कांग्रेस के प्रवक्ता राकेश शंकर शेट्टी के नेतृत्व में 155-मुलुंड विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं और स्थानीय निवासियों ने एक दिवसीय भूख हड़ताल आयोजित की। इस हड़ताल का उद्देश्य ईवीएम मशीनों के खिलाफ विरोध और बैलट पेपर (हस्ताक्षरित मत पत्र) से चुनाव कराने की मांग करना था।

राकेश शेट्टी ने इस आंदोलन में शामिल कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों से कहा कि बीजेपी सरकार के तहत चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल पूरी तरह से असंवैधानिक और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी, जो ‘हिटलरवादी विचारधारा’ का पालन करती है, चुनावों में अपनी मनमानी कर रही है और लोकतंत्र का दुरुपयोग कर रही है। शेट्टी ने कहा, "हमने ईवीएम के जरिए चुनावों में हो रही धांधली का विरोध किया है। जब तक बैलट पेपर से चुनाव नहीं होते, हम इस तरह के आंदोलनों को जारी रखेंगे।"

इस भूख हड़ताल में कांग्रेस के अलावा महाविकास आघाडी के अन्य दलों ने भी भाग लिया और इसके साथ ही जनता से भी समर्थन जुटाने के लिए एक स्वाक्षरी अभियान शुरू किया। आंदोलनकारियों का कहना है कि ईवीएम से चुनाव कराने का तरीका केवल लोकतंत्र की हत्या करता है और इससे चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल खड़े होते हैं। उनका मानना है कि जब तक वैलेट पेपर से चुनाव नहीं होंगे, तब तक लोकतांत्रिक प्रक्रिया की असलियत पर प्रश्नचिन्ह लगा रहेगा।

राकेश शेट्टी ने आगे कहा, "हमने यह भूख हड़ताल इसलिए आयोजित की ताकि हम लोगों को ईवीएम से चुनावों की गड़बड़ियों के बारे में जागरूक कर सकें और जनता में इस मुद्दे को लेकर जागरूकता बढ़ा सकें। इस आंदोलन का उद्देश्य केवल ईवीएम के खिलाफ नहीं, बल्कि देश में चुनावों के असल स्वरूप की रक्षा करना है।"

भूख हड़ताल के दौरान मुलुंड रेल्वे स्टेशन (पूर्व) परिसर में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और स्थानीय लोग उपस्थित थे। आंदोलन का समापन शांति और सहयोग के साथ हुआ, हालांकि इस मुद्दे को लेकर आगे भी प्रदर्शन और आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया गया।

इस प्रदर्शन से यह साफ संकेत मिलता है कि महाविकास आघाडी और कांग्रेस ईवीएम के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज़ करेंगे, और जब तक उनके पक्ष में मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा।

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