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प्रधानमंत्री के चमत्कारिक नेतृत्व के एक दशक

जिस अंदाज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निदा फाजली की गजल संसद में पढ़ी वह सचमुच में उनके प्रति हमारा लगाव और गहरा कर देता है-सफर में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो,सभी हैं भीड़ में तुम निकल सको तो चलो|यह दो पंक्तियां ही उनके साहस का प्रत्यक्ष दर्पण है|

वास्तव में 74वर्षीय युवा 

प्रधानमंत्री के बचपन को देखा जाए तो आज वह जिस मुकाम पर हैं,शायद उसकी उन्होंने  कभी कल्पना भी नहीं की होगी | लेकिन एक बात तो तय है कि जिस उम्र में उन्होंने घर छोड़ा उसी समय तय हो गया था कि वे एक न एक दिन वह कुछ पा लेंगे जिसके लिए वह घर छोड़ रहे हैं |गौर करने वाली बात यह है कि उन्होंने अपने लिए नहीं बल्कि राजनीति, धर्म और अध्यात्म के लिए घर छोड़ा था |वे संगठन पर पकड़ रखने वाले ऐसे नेता हैं जिनके आगे किसी की नहीं  उनकी ही चलती है|बिना किसी पारिवारिक सहयोग एवं गाड फादर के वे अपने कठिन परिश्रम के बल पर शीर्ष पर पहुंचे हैं।यह उनका त्याग ही था जिसकी वजह से वह बिना विधायकी के भी  मुख्यमंत्री बना दिये गये|उसका मूल कारण उनके अंदर सत्ता का लालच न पहले भी था और न आज भी है|शीर्ष नेतृत्व ही नहीं बच्चे -बच्चे के जबान पर उनका नाम होना उनकी प्रसिद्धी को दर्शाता है|आज दुनिया के मानचित्र पर हमारे मुल्क को जो पहचान और महत्व मिल रहा है उसमें प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता दिखाई दे रही है|आज योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता और प्रवासी भारतीयों के अंदर गौरव की भावना के वे शिल्पकार हैं|आज वे विश्व के नेता हैंlवे भारत के ऐसे नेता हैं जिनका आदर पक्ष-विपक्ष सभी करते हैं|इसका प्रत्यक्ष प्रमाण समाजवादी पार्टी के प्रमुख स्मृति शेष मुलायम सिंह यादव(नेताजी) ने लोकसभा में खुले आम यह कहकर कि अगली बार भी नरेंद्र मोदी ही प्रधानमंत्री बनें| इसका प्रत्यक्ष प्रमाण दिया था |

2014में जब वे पहली बार प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने स्वच्छ भारत, आदर्श ग्राम योजना, मेक इन इंडिया,अटल पेंशन योजना, जनधन,मुद्रा लोन, स्टार्टअप इंडिया,उज्ज्वला स्कीम, डिजिटल इंडिया, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना उन्होंने अपने आप से शुरू कर देश की जनता के निर्णय पर मुहर लगा दी|उन्होंने देश के मसीहा विश्व रत्न बाबा साहेब डॉ. आंबेडकर की जयंती पूरे वर्ष सरकारी तौर पर मनाकर देश में सामाजिक समानता लाने का बहुत ही बड़ा साहसिक ही नहीं बल्कि दिल को छू लेने वाला कार्य किया|साथ ही उन्होंने स्टैंडअप इंडिया स्कीम के तहत आरक्षित वर्ग और महिलाओं के लिए जिस प्रकार से 500करोड़ रूपये आवंटित किए वह उनकी दिव्य दृष्टि का प्रमाण है| आज शहरों में बम ब्लास्ट की खबरों का अंतिम संस्कार हो चुका है| देश अनवरत प्रगति पथ पर अग्रसर हैं| देश के लगातार तीन  बार  प्रधानमंत्री बनकर उन्होंने लोकतंत्र और जनता के महत्व पर चार चांद लगा दिया है | आज विश्वकर्मा जयंती और प्रधानमंत्री का जन्म दिन सचमुच में बड़ा ही सुखद संयोग है|


चंद्रवीर बंशीधर यादव
(लेखक महाराष्ट्र के सामाजिक चिंतक और समाजसेवी शिक्षाविद् हैं |)




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