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विनम्रता जिनकी पहचान है ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी हवलदार सिंह की सक्रियता को सलाम


मुंबई। 
बृहन्मुंबई महानगरपालिका शिक्षण विभाग के ज्ञान रूपी समुद्र  के वरिष्ठ शिक्षक हवलदार सिंह लगते हैं। इनके जैसे कुछ ही ऐसे लोग हैं जिन्होंने इस  ज्ञान रूपी समुद्र  को समृद्ध करने में नदी की भूमिका अदा की है।शायद इसीलिए आज तक जहाँ कहीं भी इन्होंने शिक्षण कार्य किया वहाँ का प्रत्येक विद्यार्थी इन्हें जानता और पहचानता ही नहीं है बल्कि बड़े ही श्रद्धा भाव से इनका आदर करता है। इनके शिष्यों की फेरहिस्त बड़ी लंबी है जिसमें अधिकारी, डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, पुलिस अधिवक्ता , समाजसेवी, राजनेता, जनप्रतिनिधि तो हैं ही लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि इनके सारे के सारे विद्यार्थी इन्हीं की तरह विनम्र, प्रतिभाशाली होने के साथ ही इंसानियत के भी धनी हैं। हवलदार सिंह वह नाम है जो सभी अपने से लगते हैं। शायद यही वजह है कि उन्हें हर कोई अपनी सेवानिवृत्ति पर मंच संचालन हेतु आमंत्रित कर अपनी भावनाओं  को जबान देना चाहता है। 'हवलदार सिंह'

शिक्षा, संस्कृति तथा समाज के त्रिआयामी व्यक्तित्व से विभूषित ऐसे यशस्वी वरिष्ठ शिक्षक हैं जिन्हें  महापौर पुरस्कार प्राप्त  हैं। इनके बारे में मेरी सोच कुछ इस प्रकार है- हजारों को देखा लेकिन एक भी तुम जैसा न देखा।तुम जब चले तो पूरा काफिला चला,तुम जो रूके तो कोई न चला।जैसे लगा तुम ही काफिला हो।

शायद यही वजह है ये अकेले ही हर किसी पर भारी हैं। इसीलिए तो आज भी शान से चल रहे और कल भी चलते रहेंगे।चलते रहना इनके खून में है।इनका चलना शिक्षा समाज और देश के लिए बहुत जरुरी है।इसीलिए तो बहुतों का इनसे भावनात्मक लगाव  है।

 ऐसे विद्वान  व्यक्तित्व का जन्म  उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक जनपद प्रतापगढ़ के पट्टी तहसील के शहीद स्थल रूरे, पोस्ट रेडीगारापुर नामक ग्राम्यांचल में ममतामयी मां लखराजी देवी तथा सौम्य एवं स्नेहिल व्यक्तित्व के धनी पिता संपत सिंह के यहां द्वितीय संतान के रूप में 01 नवंबर 1964 को हुआ। होनहार विरवान के होत चीकने पात उक्ति को चरितार्थ करते हुए इनके माता पिता इन्हें पाकर धन्य हो गए। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में यह लेखनी और आवाज के  धनी हैं। बचपन से ही ये कुशाग्र बुद्धि के अत्यंत ही प्रतिभाशाली छात्र रहें। क्रीड़ा, कला, एकांकी, अभिनय, वक्तृत्व तथा काव्यपाठ में स्कूली शिक्षा के समय से ही  इनकी रुचि, उत्साह, निष्ठा, लगन समर्पण भाव तथा प्रस्तुति प्रशंसनीय रही।इनकी  शिक्षा प्राथमिक विद्यालय रेडीगारापुर, पूर्व माध्यमिक शिक्षा सारनाथ लघु माध्यमिक विद्यालय रेड़ीगारापुर, माध्यमिक शिक्षा/  हाईस्कूल रामराज इंटरमीडिएट कॉलेज पट्टी, इटरमीडिएट शिक्षा  महादेव प्रसाद जायसवाल इंटरमीडिएट कॉलेज महादेव नगर, बी. एस सी. प्रताप बहादुर डिग्री कॉलेज प्रतापगढ़ (सिटी), एम .एस.सी (गणित) की शिक्षा पूर्वांचल की शान  गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध तिलकधारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय जौनपुर तथा बी. एड. की उपाधि स्नातकोत्तर महाविद्यालय प्रतापगढ़, (अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद )से प्रथम श्रेणी कर सभी विद्वानों के चहेते बन गये।ऐसे ही विद्वानों के सागर में अर्थात बृहन्मुंबई महानगरपालिका शिक्षण विभाग में इनकी नियुक्ति ऐसे स्कूल में हुई जहाँ पच्चास शिक्षक कार्यरत थे।जबकि वर्तमान समय में कई स्कूलों में इतने बच्चे भी नहीं हैं।ऐसे विद्वान शिक्षकों से समृद्ध एफ/ उत्तर विभाग की प्रसिद्ध  कोरबा मिठागर मनपा हिंदी स्कूल( शाला )में 21 फरवरी 1992 ने इनका भव्य स्वागत किया। जहाँ पर इन्होंने अपने अथक परिश्रम,  उत्तम नियोजन, कुशल मार्गदर्शन एवं शिक्षकीय संगठन के फलस्वरूप हिंदी वक्तृत्व, संस्कृत, क्रीडा, कला तथा शिष्यवृत्ति स्पर्धा के क्षेत्र में मनपा शिक्षण विभाग स्तर पर  उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की। वर्ष 1995-96 में इनकी निष्ठा एवं लगन के फलस्वरूप क्रीड़ा के क्षेत्र में भी इस स्कूल (शाला) को मनपा विभागीय स्तर पर श्रेष्ठ बालक( Best Boys) तथा बेस्ट स्कूल (Best School) नामक दो शील्ड प्राप्त हुई। उक्त उपलब्धि शिक्षक तथा स्कूल (शाला) के लिए कीर्तिमान के रूप में प्रसिद्ध हुई। सेवा के दौरान ही विद्यार्थियों को पढ़ाते पढ़ाते स्वयं भी मुंबई विद्यापीठ से वर्ष 1999-2000 में उच्च गुणांको से एम.एड की उपाधि प्राप्त कर अपना नाम सेल्फ मेड पर्शन के रूप में चमका दिया। 30 अप्रैल, 2000 को विभागीय नियमानुसार इनका  स्थानांतरण पड़ोस की चिर परिचित नाडकर्णी पार्क मनपा हिंदी स्कूल (शाला) वडाला में हुआ।यहाँ शैक्षणिक कार्य करते हुए इन्होंने गणित तथा नैतिक मूल्य विषयों पर द्विवर्षीय विभागीय कृतिशोध कार्य किया। फलस्वरूप  शिक्षणाधिकारी द्वारा इन्हें दो बार प्रशस्ति पत्र भी मिला।इनकी जिज्ञासा,

कार्यकुशलता, तत्परता, समर्पण तथा विभागीय सर्व प्रशिक्षणों में उत्कृष्ट तज्ञमार्गदर्शक , विद्यार्थी  तथा  शिक्षकीय सोच की वजह से  2008 में इन्हें आदर्श शिक्षक महापौर पुरस्कार और 2010-11 में राष्ट्रीय स्तर पर कार्यान्वित  मुलींचे शिक्षण-एन.पी.ई.जी.ई.एल (N .P.E.G.E.L )कार्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्र स्तरीय आदर्श शिक्षक पुरस्कार प्रदान कर इनको इनकी विद्ववता का पुरस्कार मिला । पुनः विभागीय नियमानुसार  01 मई 2011 को इनका स्थानांतरण एफ/ उत्तर विभाग के ही सहकार नगर मनपा हिंदी स्कूल (शाला )वडाला मुंबई में हुआ।यहाँ पर भी इन्होंने  मार्गदर्शक की भूमिका का बड़े उत्साह से निर्वहन किया। फलस्वरूप इनका चमत्कारिक स्वरूप दिग्दर्शित हुआ।यहाँ पर शैक्षणिक  कार्य करते हुए वर्ष 2011 में भारत की जनगणना में इनके असाधारण उत्साह तथा उच्च कोटि की क्षमताओं से कार्य करने के फलस्वरूप महामहिम राष्ट्रपति द्वारा सम्मान प्रमाणपत्र (Certificate of Honour) तथा रजत पदक भारत सरकार की श्रेष्ठ उपाधि से विभूषित किया गया ।वैसे इन्हें सैकड़ों पुरस्कार मिले हैं।लेकिन सबसे अधिक चर्चा 

उक्त उपलब्धि की हुई। इनके शैक्षणिक तथा सामाजिक कार्य की सर्वश्रेष्ठ तथा उल्लेखनीय उपलब्धि  शिक्षण विभाग में चर्चित है। पुनः मनपा शिक्षण विभाग में कक्षा आठवीं की क्लास  के कार्यान्वित होने के फलस्वरूप उच्च कक्षाओं में गणित तथा विज्ञान के शिक्षण हेतु इनका  समायोजन कोरबा मिठागर मनपा हिंदी स्कूल (शाला) में 1 सितंबर ,2017 को हुआ।यहाँ पर मुख्य शिक्षकों के सेवानिवृत्त होने के पश्चात तीन बार  इंचार्ज के रूप में  स्कूल(शाला) का सफलतम प्रतिनिधित्व करने का सुअवसर इन्हें प्राप्त हुआ।यहाँ उत्कृष्ट शिक्षण कार्य के साथ साथ  संपूर्ण सेवा काल में पूर्व माध्यामिक , माध्यमिक कक्षा सातवीं और आठवीं के शिष्यवृति वर्ग का स्कूल (शाला), बीट, वार्ड, परिमंडल तथा विभागीय स्तर पर विद्यार्थियों तथा शिक्षकों का कुशल मार्गदर्शन कर सभी के दिलों में राज करने लगे। फलस्वरूप तत्कालीन बृहनमुंबई महानगरपालिका के चर्चित  शिक्षणाधिकारी महेश पालकर के करकमलों द्वारा वर्ष 2018-19 में पूर्ण प्रगत वर्ग,स्कूल( शाला) सिद्धी तथा 25 निकष की ए (A) श्रेणी हेतु  इन्हें आदर्श शिक्षक प्रशस्ति प्रमाणपत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया । वर्ष 2021 में विशिष्ट एवं अद्वितीय प्रतिभा तथा विद्यार्थियों एवं स्कूल (शाला) की गुणवत्ता विकास हेतु  महाराष्ट्र राज्य स्तरीय शिक्षक रत्न से इन्हें नवाजा गया। 

संपूर्ण सेवाकाल में पूर्व माध्यमिक,माध्यमिक महाराष्ट्र राज्य शासकीय शिष्यवृत्ति परीक्षा में इनके कुशल मार्गदर्शन में 10 विद्यार्थी उच्च गुणांक प्राप्त कर राज्य श्रेष्ठता सूची में आयें। उक्त उपलब्धि हेतु इन्हें शिक्षणाधिकारी द्वारा फिर एक बार प्रशस्ति प्रमाणपत्र प्रदान कर गौरवान्वित किया गया। शिष्यवृत्ति मार्गदर्शन के क्षेत्र में इन्हें पूर्ण प्रभुत्व प्राप्त है।उसका मूल कारण इनके पास हर विषय की संपूर्ण जानकारी जो है। मार्च 2020 में लगभग डेढ़ वर्ष तक कोविड काल में भी यूट्युब ऑडियो, वीडियो की निर्मिति कर  शिक्षण विभाग में विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षण कुशलतापूर्वक कार्यान्वित कर इन्होंने सभी को अपने ज्ञान से परिचित कराया। वाचन, लेखन, गणितीय संक्रिया प्रकल्प, शिक्षक दिवस, हिंदी दिवस, स्वच्छता सप्ताह तथा आजादी के अमृत महोत्सव में भी इनके नियोजन में(स्कूली) शालेय विद्यार्थियों तथा शिक्षकों ने अपनी क्षमाताओं, ज्ञान, वक्तत्व तथा काव्यपाठ का श्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए प्रशस्ति प्रमाणपत्र, शील्ड तथा पदक प्राप्त किया।इस प्रकार वर्ष 1992 से वर्ष 2022 तक तीन दशक से अधिक सेवाकाल में शिक्षा निरीक्षक , प्रशासकीय अधिकारी, अधीक्षक, उपशिक्षणाधिकारी तथा शिक्षणाधिकारी द्वारा अनगिनत प्रशंसनीय प्रशस्ति  पत्र, शील्ड तथा पदक प्राप्त हुए।बृहनमुंबई महानगर पालिका शिक्षण विभाग द्वारा आयोजित  हिंदी दिवस वक्तृत्व / काव्यपाठ स्पर्धा में 14 सितंबर 2022को स्कूल (शाला) की छात्रा तथा स्वयं की  उत्कृष्ट प्रस्तुति हेतु दोनों को प्रथम क्रमांक से पुरस्कार और प्रशस्ति प्रमाणपत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।इनकी संपूर्ण सेवा काल में स्मार्ट पी टी, प्राथमिक शालेय प्रमाण पत्र परीक्षा, शैक्षणिक गुणवता विकास , स्कूल(शाला) सुधार कार्यक्रम, सी.सी.ई इव्लूयेशन  ( CCE Evaluation), बाल स्नेही शिक्षण, शिक्षणोत्सव, आशय समृद्धि, सर्व शिक्षा अभियान,इंग्लिश ट्रेनिंग (English Training)विज्ञान प्रदर्शनी, गणितीय उपक्रम, नवनियुक्त शिक्षक प्रशिक्षण, वर्चुअल वर्ग द्वारा शिष्यवृत्ति मार्गदर्शन, वक्तृत्व , काव्यपाठ जैसे प्रशिक्षण तथा स्पर्धाओं सहित बहुआयामी सभी क्षेत्रों में तज्ञमार्गदर्शक के रूप में इनकी भूमिका  शिक्षण विभाग में महत्वपूर्ण रही। इन्हें तत्कालीन रयत महासंघ मुंबई अध्यक्ष‌/ सांसद  स्मृतिशेष एकनाथ गायकवाड के करकमलों से  2008 में सर्वश्रेष्ठ समाज सेवक / रयत सेवक पुरस्कार, वर्ष 2013-14 डॉन वास्को शेल्टर द्वारा आदर्श शिक्षक पुरस्कार, विभित्र सामाजिक संगठनों द्वारा प्रतिवर्ष सामाजिक पुरस्कार सहित राष्ट्रीय कार्य हेतु जनगणना ,पल्स पोलियो तथा चुनाव के क्षेत्र में भी श्रेष्ठ सामाजिक पुरस्कार मिलें।इन्होंने लोक मंगल सेवा संघ वडाला, मुंबई नामक सामाजिक प्रतिष्ठान में वर्ष 2009 से  सचिव पद पर सफलतापूर्वक कार्य करते हुए उत्तम कार्य एवं प्रतिसाद हेतु उच्च गुणांक प्राप्त विद्यार्थियों, गुणवंत शिक्षकों तथा समाजसेवियों को सामाजिक प्रतिष्ठान के माध्यम से समय समय पर प्रेरित कर गौरवान्वित किया है । इनके द्वारा लिखित समाज की ज्वलंत समस्याओं नारी शिक्षा और सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण, अंध श्रद्धा निर्मूलन, नैतिक मूल्य संवर्धन, वर्तमान शिक्षा प्रणाली के साथ ही  समाजिक विषयों पर  विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं एवं समाचारपत्रों में लेख प्रकाशित हुए। इनका विशुद्ध साहित्यिक लेखन ,संकलन  अद्वितीय एवं अनुकरणीय है।सचमुच में इनका कार्यक्षम, उदारवादी, प्रेरक, गतिशील, अनुभवी एवं पारखी तथा समर्पित बहुआयामी व्यक्तित्व सकारात्मक तथा  संदेश का सच्चा सूचक है।

पारिवारिक पृष्ठभूमि में वर्तमान समय में इनके दो भाई तथा एक बहन है। दो बहनों में से इनकी साक्षात देवी स्वरूप 40 वर्षीया एक कनिष्ठ बहन स्मृति शेष अमृता सिंह की हृदय गति रुकने से 3 फरवरी 2013 को आकस्मिक दुःखद निधन होने के कारण परिवार के खुशियों के एक बड़े अध्याय का हमेशा के लिए अंत हो गया।यह इनके जीवन को झकझोर देने वाली घटना रही।इनसे10 वर्ष बड़ी बहन  हिरावती सिंह वैवाहिक जीवन के उपरांत अपने ससुराल में पूर्ण संतुष्टि के साथ अपना जीवन यापन कर रही हैं। कनिष्ठ भ्राता मूल प्रदेश गांव  प्रतापगढ़ जनपद स्थित रामगंज नगर पंचायत में स्वच्छता पर्यवेक्षक पद पर कार्यरत हैं।इनके तीन सुपुत्र तथा तीन सुपुत्रियां हैं। प्रथम श्रेणी में एम. ए., बी .एड. तथा शिक्षक पात्रता पूर्व परीक्षा टी .ई. टी उत्तीर्ण  दोनों बड़ी बेटियां  शशी अरुण सिंह एवं खुशबू सोनू सिंह वैवाहिक जीवनोपरांत शिक्षक व्यवसाय हेतु सुपर टेट (Super T.E.T )की तैयारी में प्रयासरत हैं। तृतीय सुपुत्री  रुची हर्षित सिंह गृह विज्ञान से एम. ए. प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर शिक्षक प्रशिक्षण डी. एल. एड/बी. टी. सी . हैं । मेधावी प्रतिभा के धनी प्रथम क्रमांक के सुपुत्र रोहित सिंह बी .ई (इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन) की उपाधि अर्जित कर मुंबई में कुशल अभियंता पद पर कार्यरत हैं। अतिशय सामाजिक तथा तंत्रस्नेही दूसरे क्रमांक के सुपुत्र सूरज सिंह विशेष योग्यता से एम.कॉम की उपाधि अर्जित कर टी.सी. एस. कंपनी भांडुप मुंबई में कार्यरत हैं। बी. ई की उपाधि प्राप्त  कनिष्ठ सुपुत्र पंकज सिंह भारतीय नौ सेना (Indian Navy )में विगत पांच वर्षों से तकनीकी विभाग में नव सेना सैनिक (Sailor )पद पर कार्यरत हैं। विषम तथा प्रतिकूल स्वास्थ्य में भी अतिशय विनम्र, सरल तथा सहज एवं धार्मिक स्वभाव से ओत-प्रोत इनकी जीवन संगिनी माधुरी सिंह अपनी मधुरता के साथ  एक कुशल गृहिणी के रूप में संयुक्त परिवार का उत्तम प्रतिनिधत्व कर रही हैं। इस प्रकार इनका भरा-पूरा संपूर्ण संयुक्त परिवार शिक्षा, संस्कृति, सभ्यता, आचार विचार तथा उत्तम संस्कार एवं उच्च आदर्शों से परिपूर्ण है।

सरलता,  सहनशीलता, कर्तव्यबोध,सृजनशीलता, सौजन्यशीलता, नियमितता, स्वानुशासन, सुलेखन कौशल्य, ओजस्विता, वक्तृत्व, कुशल काव्य पाठ, पटकथा लेखन, अभिनय निर्णयन, नेतृत्त्व, दूरदृष्टि, पक्का इरादा, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, साहित्यकारिता, तज्ञ मार्गदर्शन, उत्तम नियोजन, सफल कार्यक्रम संचालन, उत्कृष्ट मार्गदर्शन एवं परामर्श जैसे नायाब तथा दुर्लभ गुण इनके व्यक्तित्व के ओजस्वी पहलू हैं। बृहन्मुंबई महानगरपालिका शिक्षण विभाग में 58 वर्ष की मानक आयु तथा 30 वर्ष 08 माह 10 दिन की गौरवशाली, यशस्वी, अखंड तथा निष्कलंक विभागीय सेवा पूर्ण करते हुए यह( वरिष्ठ शिक्षक हवलदार सिंह) बृहन्मुंबई महानगरपालिका शिक्षण विभाग से 01 नवंबर 2022से सेवानिवृत्त हुए। लेकिन इनका दिल और दिमाग अभी भी मनपा शिक्षण विभाग के  सभी अधिकारी, शिक्षक, विद्यार्थी,कर्मचारी,लोकप्रतिनिधि,सोसल वर्करों से अभी भी जुडा हुआ है।

सचमुच में हम सभी  के आदर्श हवलदार सिंह जैसा सरल, ज्ञानी और ईमानदार व्यक्तित्व अपने आप में  एक मिशाल हैं।इसीलिए तो लिखता हूँ -आज कलम भी मुस्करा रही है,इस शिक्षा के हवलदार (सिपाही) पर कोई कलम चला रहा है।

वास्तव में आदमी का फरिश्ता बन जाना आसान है।लेकिन आदमी का आदमी बने रहना सबसे मुश्किल काम है। इस मुश्किल काम के जनक बन चुके हैं हवलदार सिंह।वास्तव में

जिंदगी सरलता के साथ महान होती है।विशेषता जिंदगी को उलझाती है।आदमी से जिंदगी है।जिंदगी को समझने के लिए सर्वप्रथम हमें आदमी को समझना होता है।शायद 

इसीलिए मीर तक़ी मीर मुझे याद आ रहे हैं-'मीर' साहब तुम फ़रिश्ता हो तो हो आदमी होना तो मुश्किल है मियाँ। आदर्शों और संदेशों के सूचक सेवा निवृत्त वरिष्ठ शिक्षक हवलदार सिंह कुछ ऐसे हैं जिन्हें कई पुरस्कार मिले उसका मूल कारण इनका अथाह ज्ञान,सेल्फ मेड होना और सभी विषयों पर महारथ हासिल करना जो है।इसी वजह से इन्हें बृहन्मुंबई महानगरपालिका शिक्षण विभाग के महापौर से लेकर राष्ट्रीय पुरस्कार तक मिले हैं।

मुझे लगता है इन्हें वह हर पुरस्कार मिला है जो विभाग देता है।

इसीलिए फहीम जोगापुरी याद आ रहे है-वाकिफ कहाँ जमाना हमारी उड़ान से वो और थे जो हार गए आसमान से। लेकिन मुझे लगता है उनकी सादगी और विनम्रता को भी एक पुरस्कार जो सभी का हृदय इन्हें दे रहा है।शायद इसीलिए जिगर मुरादाबादी ने लिखा है-अपना जमाना आप बनाते है अहल -ए-दिल ,हम वो नहीं कि जिन को जमाना बना गया।


चंद्रवीर बंशीधर यादव (लेखक  महाराष्ट् के सामाजिक चिंतक एवं शिक्षाविद् हैं।)

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