मुंबई। महाराष्ट्र राज्य पाठ्यपुस्तक निर्मिति व अभ्यासक्रम संशोधन मंडल पुणे (बालभारती) में हिंदी प्रथम भाषा (कक्षा 6th से 8th) समिति के चयनित अध्यक्ष शिक्षाविद् रामहित बी.यादव हिंदी,संस्कृत और अंग्रेजी के विद्वान के रूप में मुंबई ही नहीं अपितु संपूर्ण महाराष्ट्र में अपनी पहचान बना चुके हैं।उनके द्वारा लिखित 4 शोध पत्र और अनेक शैक्षणिक लेख देश की अनेक पत्र–पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। देशभर से कई पुरस्कार एवं अनेक सम्मान केवल उनकी विद्ववता एवं कर्मठता की वजह से प्राप्त हुए हैं। आज सभी उनसे बहुत आशान्वित हैं कि वे महाराष्ट्र में हिंदी प्रथम भाषा को बहुत ही समृद्ध बनाएँगे।उनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है । वास्तव में उन्होंने हिंदी के प्रचार प्रसार में अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया है।
आज वे 73 वर्ष के युवा के रूप में सर्वत्र प्रसिद्ध हैं।यह मुकाम उन्हें ऐसे ही नहीं मिला है। इसके पीछे उनकी तपस्या,त्याग और सेवा है।ऐसी महान शख्सियत का जन्म 31जुलाई 1951को जौनपुर के ठेंगहा गाँव में हुआ। यह वही दिन है जब माता अभिराजी यादव एवं पिता बेरतंती यादव के सपनों को मूर्त रूप देनेवाले, सभी का हित चाहने वाले रामहित यादव का जन्म हुआ। संपूर्ण क्षेत्र में बचपन से ही वे उनकी प्रतिभा की वजह से पहचाने जाने वाले रामहित यादव की प्राथमिक शिक्षा उनके अपने गाँव में ही मिली, फिर गद्दोपुर से 1968 में हाईस्कूल, 1970 में महादेव प्रसाद कॉलेज से इंटरमीडियट तत्पश्चात आगे की शिक्षा हेतु वे जौनपुर जिले की ज्ञानस्थली राजा हरपाल सिंह डिग्री कालेज , सिंगरामऊ की ओर चल पड़े । वहाँ से उन्होंने सर्वप्रथम 1972 में स्नातक फिर बी.एड. 1973 में किया। भविष्य के सपनों को पूर्ण करने हेतु वे 18 जून 1973 को मायानगरी मुंबई पहुँचे। यहाँ पर आते ही मुंबई की मशीनों ने उन्हें आकर्षित कर लिया। लेकिन 20 नवबंर1975 को एशिया की सबसे बड़ी महानगरपालिका ने उन्हें उनकी कलम पकड़ा दी और जोगेश्वरी की गुफा रोड के मनपा स्कूल में प्रशिक्षित शिक्षक बना दिया। अध्यापन के साथ उन्होंने सतत अध्ययन जारी रखा।शायद उसी का परिणाम था कि 1979 में वे यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई से एम.ए.राजनीतिशास्त्र से किये। एम.ए.करने के बाद 1987 में हिंदी साहित्य से प्रथम श्रेणी में एम.ए. तत्पश्चात 1989में उन्होंने महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान सूरजबा कॉलेज ऑफ एज्युकेशन जुहू से एम.एड. प्रथम श्रेणी एवं प्रथम स्थान के साथ उत्तीर्ण होने का गौरव प्राप्त किया। जून 1990 से जुलाई 1993 तक भाषा विकास प्रकल्प में वे स्रोत व्यक्ति के रूप में कदम -दर-कदम उनकी प्रतिभा के आलोक से हिंदी विभाग आलोकित हुआ।12 जुलाई1993 को हिंदी माध्यम में विभाग - निरीक्षक के रूप में वे चुने गए। उन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर एक नए सुनहरे युग की शुरुआत की। उनकी उपलब्धियों व सफलताओं की लंबी श्रृखंला है।
बड़ी मुश्किल से थोड़े लोग होते हैं जमानों में,
न डूबे जो समंदर में न खोए आसमानों में ।
उनकी सफलता सुगंधित पुष्पों की माला के समान विभागीय गतिविधियों के मार्ग को सुरभित करती रही । श्रृंखला की कुछ कड़ियों को तो शायद कोई नहीं भुला सकता - प्रथम हिंदी भाषी छात्र जो मुंबई विद्यापीठ से एम.एड. प्रथम श्रेणी प्रथम स्थान से उत्तीर्ण, वह अधिकारी जिन्होंने हिंदी विभाग में कृति संशोधन व नवोपक्रम के प्रति न केवल जागरूकता फैलाई वरन् जिसके मार्गदर्शन में कई शिक्षकों को मनपा, जिला व राज्य स्तर तक प्रथम द्वितीय, तृतीय पुरस्कार मिला । ऐसे जागरुक क्रियाशील अधिकारी जिनका प्रोजेक्ट 'प्रतीक्षा - प्रेरणा प्रभुत्व' न केवल मुंबई मनपा बल्कि कई महानगरों ने स्वीकार किया, वे प्रथम अधिकारी रहें जिन्होंने पुरुष शिक्षकों के साथ-साथ महिला शिक्षिकाओं को विभागीय शैक्षणिक प्रशिक्षणों में स्रोत व्यक्ति के रूप में अवसर दिया , वे ऐसे अधिकारी रहें जिनके मार्गदर्शन में स्मार्ट पी.टी.,अनुधावन कार्यक्रम हिंदी विभाग अपने सर्वोच्च शिखर पर पहुँचा ।उनके कार्यकाल में लगभग 15 शिक्षकों को महापौर पुरस्कार तथा 05 शिक्षकों को राज्य व राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए। मुंबई मनपा के शिक्षण विभाग के प्रथम अधिकारी जिन्हें ISO सर्टिफिकेशन में सहभागिता के लिए प्रथमतः ISO सर्टिफाइड (प्रमाणित) अधिकारी के लिए प्रशस्ति पत्र मिला । एक कर्मठ एवं परिश्रमी शिक्षक, कृतिशील शिक्षा निरीक्षक व योग्य ईमानदार प्रशासक की छवि उनकी पहचान रही।
सेवांतर्गत प्रशिक्षण केंद्र, मनपा के विभिन्न विभागों तथा प्राइवेट(खाजगी) प्राथमिक शालाओं में वे शिक्षा-निरीक्षक के पद पर 1मार्च , 2005 तक कार्यरत रहे। 1मार्च, 2005 से पदोन्नत होकर प्रशासकीय अधिकारी के रूप में 'ई' वार्ड, 'एम पूर्व' 'वार्ड' तथा 'एन' वार्ड में कार्य करते हुए 1अगस्त, 2009 को सेवानिवृत्त हुए।
जीवन में कभी भी विश्राम न करने वाले श्री यादव इस महानगर के पहले ऐसे व्यक्तित्व हैं जिन्हें महाराष्ट्र राज्य पाठ्यपुस्तक निर्मिति व अभ्यासक्रम संशोधन मंडल पुणे (बालभारती)का अध्यक्ष चयनित किया गया है । वैसे इससे उनका पुराना नाता है । इससे पूर्व वे पुनरर्चित अभ्यासक्रम 2012 एवं 2020 में महाराष्ट्र राज्य शैक्षणिक संशोधन व प्रशिक्षण परिषद पुणे में हिंदी विषय अभ्यासक्रम समिति सदस्य के रूप में सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं । साथ-साथ 2015 से बालभारती में कक्षा पहली से दसवीं तक हिंदी विषय समिति सदस्य एवं मेंबर ऑफ बोर्ड ऑफ स्टडीज के रूप में सतत सक्रिय रहते हुए वे उनकी अलग छाप छोड़ने में सफल रहे हैं।
फलस्वरूप यह स्पष्ट है कि वर्तमान में भी वे एक-एक चीज को ठीक उसी तरह से समृद्ध करेंगे जैसा उन्होंने विभिन्न पदों पर रहते हुए किया है।अंत में बस इतना लिखना चाहूँगा-होगा न कोई तुमसा,तुम जो हो वो तुम ही हो।
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