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काशी के डाॅ. राजेंद्र प्रसाद घाट पर लगा मूर्खों का मेला


वाराणसी।  गड़बड़ मंत्र, गड़बड़ जोड़ी, डाक्टरनी बनीं दूल्हा, डाक्टर दुल्हन, हुआ चट मंगनी पट ब्याह और गलत मंत्रों के प्रभाव से चटपट छुट्टम-छुट्टा भी। ठहाकों से भरपूर यह दृश्य देखने को मिला सोमवार शाम डा. राजेंद्र प्रसाद घाट पर। वहां आयोजित ‘महामूर्ख सम्मेलन 2024’ का शुभारंभ ही गधे की रेंक से हुआ।


देश भर से जुटे महामूर्खों ने आयोजक संस्था ‘शनिवार गोष्ठी’ के पूर्व अध्यक्ष जगदंबा प्रसाद तुलस्यान को दो मिनट तक ठहाके लगाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस वर्ष का ‘महामूर्ख 2024’ सम्मान हास्य के ख्यात कवि शंभू शिखर को दिया गया। उन्हें रावण का मुकुट व हनुमानजी की गदा देकर सम्मानित किया गया।


काशी के इस ख्यात हास्योत्सव की शुरुआत में गड़बड़ विवाह हुआ। गड़बड़ मंत्रोच्चारों से विवाह में दुल्हा बनीं डा. नूतन सिंह और दुल्हन बने डा. कर्मराज सिंह का तत्काल ही छुट्टम-छुट्टा हो गया।


महापौर अशोक तिवारी व सैयदराजा विधायक सुशील सिंह ने कवियों को बेढंगी टोपी, पत्थरों की माला और दुपट्टा आदि देकर सम्मानित किया। विलुप्ति की कगार पर पहुंचे नगाड़ा नाच आकर्षण का केंद्र रहा।


महामूर्ख मेला में हास्य कवियों ने अपनी रचनाओं से लोगों को खूब गुदगुदाया। शंभू शिखर ने ‘चीनी को जमा कर फिर से गन्ना बना दूं...’ से हंसाया। सुदामा तिवारी सांड़ बनारसी ने सास-बहू का काव्य रस में पगाया। दमदार बनारसी ने ‘जिसपे हर वक्त शनिचर सवार होता है...’ को स्वर दिया।


कल्याण विशाल, डा. प्रशांत सिंह, विभा सिंह, रायबरेली के नरकंकाल व उत्कर्ष उत्तम बुलडोजर, धर्मराज उपाध्याय आदि ने भी रचनाएं सुनाईं। बनारसी अल्हड़मिजाजी के प्रतीक इस अनूठे आयोजन में स्वागत सुदामा तिवारी सांड़ बनारसी ने किया। शेवारामानी, जोगेंद्र बनारस, वीरेंद्र कुमार, अरुण सोनी, विवेक शंकर तिवारी, विवेक सिंह, नंदकुमार टोपीवाले आदि थे।

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