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बुनियादी समस्याओं के निराकरण की दिशा में भी विजय आवश्यक


मंगलेश्वर त्रिपाठी

दुनिया में पहली बार चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग करके भारत ने इतिहास लिख दिया है। इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई। परंतु यह भी सत्य है कि चांद पर पहुंचने के बावजूद देश के अनेक राज्य के लोग बिजली, पानी ,सड़क , स्वास्थ्य की समस्याओं से जूझ रहे हैं। सरकार को लोगों की इन बुनियादी सुविधाओं की तरफ गंभीरता पूर्वक ध्यान देना चाहिए। 


इस समय पूरा देश गंभीर विद्युत संकट से गुजर रहा है। इसके चलते उद्योग और खेती पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के वादे की हवा निकल चुकी है। उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में 18 घंटे बिजली देने का दावा करने वाली  योगी सरकार चुप्पी साधे हुए है। बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार पर सरकार बात करने को तैयार नहीं। अब तो सरकार बुनियादी समस्याओं की जगह चंद्रयान-3 कि वाह वाही लेने में ही व्यस्त रहेगी। इसरो से कहीं ज्यादा बीजेपी को ही इस उपलब्धि का श्रेय देने का प्रयास किया जा रहा है। लगता है कि इसरो का निर्माण ही हाल में किया गया हो। स्वास्थ्य के क्षेत्र में तमाम सरकारी दावे फेल होते दिख रहे हैं। प्राइवेट अस्पतालों की लगातार बढ़ गई संख्या के बीच मध्यम और गरीब वर्ग के लोग इलाज के नाम पर लूटे जा रहे हैं।


 गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के प्रतिभाशाली और मेधावी बच्चों के सपने, दुर्व्यवस्था और संसाधनों के अभाव में दम तोड़ते नजर आ रहे हैं। देश के अधिकांश राज्यों में जमकर विद्युत कटौती की जा रही है। इसके चलते फसलों पर बुरा प्रभाव दिखाई दे रहा है। अतिवृष्टि के चलते अनेक राज्य बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं। पूर्वी भारत में कम बारिश के साथ-साथ विद्युत कटौती के चलते किसानों का बुरा हाल है। बिजली से चलने वाले छोटे-छोटे कुटीर उद्योगों की भी हालत पतली नजर आ रही है। ऊपर से मौसमी बीमारियों ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। शहरीकरण के बावजूद आज भी ज्यादा जनसंख्या गांवों में रहती है। जय विज्ञान के शोर में जय किसान कमजोर पड़ने लगा है।

आजकल बिजली संकट का प्रभाव समाज के सभी वर्गों पर पड़ रहा है। कोयले और तेल की कमी से किसानों, कारखानों से लेकर घरेलू उपयोग के लिए प्रयोग हो रही बिजली नियमित मिलना कठिन हो गई है। खनिज तेल की कमी और उसके मूल्यों में अत्यधिक वृद्धि के कारण हमें सौर-ऊर्जा, परमाणु-ऊर्जा, तप्तकुंड-ऊर्जा, ज्वार-भाटा और पवन-ऊर्जा की ओर ध्यान देना होगा, क्योंकि ऊर्जा के ये स्रोत सस्ते हैं। अगर हमने ऐसा नहीं किया तो भविष्य में हमें बिजली देखने तक को नसीब नहीं होगी। बिजली हमारी मूलभूत आवश्यकता है, मगर जिस रफ्तार से इसकी खपत हो रही है, उस हिसाब लग रहा है कि भविष्य में हम इससे वंचित हो सकते हैं।

इसरो के वैज्ञानिकों की तरह सरकार को भी देश की बुनियादी समस्याओं को दूर करने की दिशा में प्रभावी और सार्थक कदम उठाना चाहिए। हर काम को वोट की राजनीति से जोड़ने की बजाय देश के विकास से जोड़ने की आवश्यकता है। विश्व के सबसे अधिक युवाओं वाले देश में युवाओं के हाथ में काम भी देने की आवश्यकता है। देश में बढ़ रहे अपराधीकरण और आत्महत्याओं का एक प्रमुख कारण बेरोजगारी है। कागजी उपलब्धियां को जमीनी हकीकत में बदलने की आवश्यकता है। शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि के क्षेत्र को बढ़ावा देने की सख्त आवश्यकता है। निजीकरण के नाम पर बेलगाम सेक्टर को नियंत्रित करने की आवश्यकता है।

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