-इस वर्ष दर्जन भर से अधिक छात्रों ने मौत को गले लगाया
जयपुर । प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग का गढ़ कहा जाने वाला राजस्थान का कोटा शहर लाखों बच्चों और उनके मां-बाप के सपनों को पूरा करने वाला एक खास जगह है। कोटा प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग संस्थानों वाली मशहूर जगह है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र दिन-रात बस एक ही सपना देखते हैं कि उनका परीक्षा में चयन हो जाए। इन सबके बीच दुखद बात यह है कि छात्रों के सपनों का शहर धीरे-धीरे मौत का शहर बनता जा रहा है।
अपनों की उम्मीदों और उनके विश्वास पर खरा उतरने के लिए छात्र अपने मन और मस्तिष्क में जाने-अंजाने में एक प्रेशर बना लेते हैं। कई छात्रों के लिए यह प्रेशर बहुत कारगर साबित होता है और वे इसे साकारात्मक रूप लेते हुए अपनी मंजिल तक पहुंच जाते हैं। बता दें कि कोटा पुलिस ने जनवरी २०१९ से दिसंबर २०२२ के बीच विभिन्न कोचिंग सेंटरों में नामांकित २७ छात्रों सहित ५२ छात्रों द्वारा आत्महत्याएं दर्ज की हैं। कोचिंग सेंटरों में सबसे ज्यादा १५ आत्महत्याएं २०२२ में हुई हैं, वहीं २०२३ में अब तक दर्जन भर से भी ऊपर छात्र आत्महत्या कर चुके हैं।
मनोवैज्ञानिक दबाव है वजह....
पढ़ाई का दबाव
कोटा में छात्रों को अक्सर कठिन पढ़ाई की प्रतिस्पर्धा और कठोर अध्ययन का सामना करना पड़ता है। ये छात्र भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान संयुक्त प्रवेश परीक्षा (आईआईटी-जेईई) या नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) जैसी अत्यधिक प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं, जिनके लिए व्यापक तैयारी की आवश्यकता होती है और यह मानसिक और भावनात्मक रूप से कठिन हो सकता है।
परिवार से अलगाव
कई छात्र भारत के विभिन्न हिस्सों से आते हैं और अपने परिवारों से दूर कोटा में रहते हैं। अचानक से कठिन पढ़ाई के चलते परिवार से अलगाव और अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव और नकरात्मक भावनाओं को जन्म दे सकता है, जिससे तनाव का स्तर बढ़ सकता है।
भावनात्मक समर्थन की कमी
अत्यधिक प्रतिस्पर्धी माहौल के कारण, छात्रों को साथियों या कोचिंग स्टाफ से भावनात्मक समर्थन लेना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। अक्सर ध्यान पूरी तरह से अकादमिक प्रदर्शन पर होता है और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर ध्यान नहीं जाता है।
छात्रों के बीच कॉम्पिटीशन को लेकर डर
छात्रों के बीच प्रतिस्पर्धा यानी स्वस्थ कॉम्पिटीशन की भावना को अच्छा माना जाता है। लेकिन कुछ छात्र इसे नकारात्मक रूप में लेते हैं। ऐसे छात्रों के लिए कोटा जैसी जगह में तनाव से पार पाना और भी मुश्किल हो जाता है। इसके कारण उनके अंदर तनाव, नींद की कमी, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं घर करने लगती हैं।
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