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साइक्लोन `मोचा' से होगा `लोचा'!, ११ से १५ मई के बीच बांग्लादेश से टकरा सकता है समुद्री तूफान

बंगाल की खाड़ी में हो रहे घटनाक्रम पर रखी जा रही नजर

मुंबई। बंगाल की खाड़ी में पहला प्री-मानसून चक्रवात तैयार होने की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार, इस साइक्लोन का नाम मोचा हो सकता है, जो बांग्लादेश समेत हिंदुस्थान में लोचा कर सकता है। मौसम विभाग के मुताबिक, इस चक्रवात के ११ मई से १५ मई के बीच बांग्लादेश के तट से टकराने का अनुमान है। यूएस ग्लोबल फोरकास्ट सिस्टम ने चार दिन पहले ही इस चक्रवात की भविष्यवाणी की थी।
मौसम विभाग के अनुसार, ५ से ११ मई के बीच बंगाल की खाड़ी में चक्रवात बनने की संभावना है। ५ मई के आस-पास बंगाल की खाड़ी के ऊपर मॉडल डिप्रेशन बनने की भविष्यवाणी की गई है। भारत के मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, कुछ मॉडल डिप्रेशन चक्रवात में विकसित होते हुए दिखते हैं। साथ ही आईएमडी की ओर से जानकारी दी गई है कि वह बंगाल की खाड़ी में हो रहे घटनाक्रम पर नजर रख रहा है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार चक्रवात के ११ से १३ मई के बीच मध्य रात्रि के बाद म्यांमार के आरक्षित राज्य और बांग्लादेश के चट्टोग्राम तट से टकराने की संभावना है। बांग्लादेश के तट पर हवा की गति १५० से १८० किमी प्रति घंटा हो सकती है। लेकिन यह भारतीय राज्य ओडिशा के तट से भी टकरा सकता है। चक्रवात यदि बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न होता है तो इसे ‘मोचा' नाम दिया जाएगा। यह नाम यमन ने दिया है।

इसलिए आते हैं चक्रवात
जब गर्म और नम हवा समुद्र में ऊपर उठती है तो नीचे कम दबाव के क्षेत्र का निर्माण होता है और कम दबाव का क्षेत्र उच्च दबाव की वायु से भरता जाता है। इसी तरह यह प्रक्रिया चलती रहती है और चक्रवात का रूप धारण कर लेती है। गर्म हवा ठंडी होती है। इससे नमी बनती है, जिसे जल वाष्प कहा जाता है। ये पानी की छोटी बूंदों का निर्माण करती है। यह एक प्रक्रिया है, जिसे संघनन कहते हैं।

इस तरह पड़ते हैं चक्रवातों के नाम
मौसम विज्ञानी के.एस. होसलिकर के मुताबिक, पहले चक्रवातों को नाम नहीं दिए जाते थे। साथ ही चक्रवातों की तारीखों से ही इसे याद किया जाता था, लेकिन इसमें कई मुश्किलें थीं। साथ ही समुद्र के दो या दो से अधिक हिस्सों में एक साथ चक्रवात जैसे हालात पैदा होने की आशंका से भी इंकार नहीं किया गया। ऐसे में तारीखों का हिसाब लगाना कुछ मुश्किल हो गया। इस स्थिति को देखते हुए कालांतर में चक्रवात के नाम पड़ने लगे।

इसलिए पड़ने लगा महिलाओं का नाम
चक्रवात के नामों पर बहुत विचार किया गया, जिसके बाद विदेशों में इनके नाम महिलाओं के नाम पर रखे जाने लगे। हालांकि, विनाश के साथ तूफान के सीधे संदर्भ में नकारात्मकता शामिल होने के कारण आपत्ति जताई गई थी और फिर चक्रवातों को अन्य नामों से पुकारा जाने लगा। चक्रवात के नाम के लिए दक्षिण एशियाई देशों का एक समूह बनाया गया है। यहां देशों से तूफानों के नाम मांगे जाते हैं। इन नामों की सूची बनाई गई है। अभी तैयार नामों की सूची इतनी बड़ी है कि यह तीन साल के लिए पर्याप्त होगी।

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