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जिला प्रशासन की सफलता के पीछे रही इस चालक की काबिलियत

चालक फैयाज को कई जिलाधिकारियों से मिल चुका है प्रशंसा पत्र 

जौनपुर।  इस बात में कोई शक नहीं कि जब किसी कठिन से कठिन परिस्थितियों में जिला प्रशासन चुनौतियों का सामना करते हुए सफलता हासिल करता है तो उसका पूरा का पूरा श्रेय जिले के कलेक्टर को ही जाता है। पर जौनपुर में कई मोर्चों पर जिला प्रशासन की सफलता के पीछे डीएम के चालक के तौर पर तैनात मोहम्मद फैयाज की काबिलियत भी रही है । यहां जिलाधिकारी रहे अनुराग यादव और राजन शुक्ला सरीखे कई डीएम अपने चालक  मोहम्मद फैयाज को इस बात के लिए प्रशंसा पत्र दे चुके हैं। 


अपने कार्यकाल में मोहम्मद फैयाज ने कई बार अपने हुनर का लोहा मनवाते हुए कलेक्टर समेत तमाम लोगों का दिल जीतने का काम किया है । ऐसे में कुछ दिलचस्प घटनाओं का यहां जिक्र करना लाजमी होगा। एक अच्छा टीम वर्क बुरे वक्त में कैसे काम आता है इसे बताने के लिए  वरिष्ठ आईएएस अफसर अनुराग यादव ने वर्ष 2005 में जौनपुर में हुई श्रमजीवी बम विस्फोट की घटना को याद  करते हुए अपने फेस बुक वाल पर लिखा है कि 28 जुलाई 2005 की शाम लगभग सवा पांच बजे मेरे मोबाइल पे फ़ोन आया। जिलाधिकारी के रूप में मैंने हमेशा खुद अपना मोबाईल फ़ोन उठाने की आदत रखी और वो तो मेरा पहला जिला था। फ़ोन करने वाले ने कहा वह श्रमजीवी ट्रेन में है और दुर्घटना हो गयी है। ट्रेन जौनपुर सुल्तानपुर बॉर्डर  पर लगभग 60 किमी दूर है। संयोग से हम कहीं  दौरे से अभी वापिस हो अपने पोर्टिको पे उतर रहे थे। फ़ोन पर बात करते करते हमने फैयाज (हमारे चालक) को अवाज दी और गाड़ी में बैठते हुए अपने स्टोनो मौर्याजी को कहा की कप्तान साहब के यहाँ कहिये घर  के बाहर अपने गेट पे मिलें, कप्तान साहब अभयजी उम्मीद के मुताबिक अपने गेट पर ही मिले (लगभग 5 मिनट में) और हम एक गाड़ी में घटनास्थल पर रवाना हो गए।  हमने फैयाज़ को कहा की आज पायलट की तरह चलाओ और उसने उम्मीद के मुताबिक 45 मिनट से कम समय में घटनास्थल पर पहुंचा दिया। जिसका नतीजा रहा कि तमाम घायलों को कम समय में ही अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचाई जा सकी। 


इसी तरह वरिष्ठ आईएएस अफसर राजन शुक्ला ने जौनपुर में अपने कार्यकाल के दौरान एक हिंसा की घटना का जिक्र करते हुए लिखा है कि  23 नवंबर 2000 को मड़ियाहूं तहसील के अटरिया में रामनगर के ब्लाक पऱमुख की हत्या के बाद हुई हिंसक घटनाओं में वाराणसी के एक अल्पसंख्यक समुदाय के तीन सदस्यों की हत्या कर उनकी अंबेस्डर कार को आग लगा दी गई थी। वह एसपी के साथ जब मौके पर पहुंचे तो कार धूधू कर जल रही थी। लोग उसके पास इसलिए नहीं जा रहे थे कि कार की टंकी कभी भी फट सकती थी। तब चालक फैयाज ने अपनी जान की परवाह किए बिना जलती हुई कार के करीब जाकर पानी और मिट्टी की मदद से आग बुझाना शुरू किया। उनके हौसले को देखकर कई और लोग आगे आए।

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