मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। जातिगत जनगणना, रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों को लेकर यूपी-बिहार में घिरती जा रही भारतीय जनता पार्टी को उबारने की कोशिश में जुटे उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री नंबर एक केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि मैं जातीय जनगणना का समर्थन करता हूं लेकिन समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने शाम होते-होते बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का हवाला देते हुए जो ट्वीट किया उससे भाजपा फिर बैकफुट पर आ गई
शुक्रवार को उन्नाव पहुंचे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने जातिगत जनगणना को लेकर कहा कि मैं जातिगत जनगणना के विरोध में नहीं हूं, बल्कि समर्थन में ही हूं। ये होनी चाहिए इसमें कोई गलत नहीं है। इस पर चुटकी लेते हुए समाजवादी पार्टी के प्रमुख महासचिव रामगोपाल यादव ने कहा कि भाजपा में केशव प्रसाद मौर्य की कोई सुनता ही नहीं है। बता दें कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव जाति की जनगणना को लेकर कहा कि जाति की जनगणना होनी चाहिए। देश के कई राजनीतिक दल इसके पक्ष में हैं। समाजवादी पार्टी के विधायक, सांसद, गांव-गांव जाकर इस बात के लिए लोगों में जागरूकता लाएंगे। कुछ समय में पार्टी का नेतृत्व गांवों में जाकर लोगों को इसके बारे में जागरूक करेगा, क्योंकि जब जनगणना होगी तभी संभव हो पाएगा कि विकास योजनाओं से लोगों को) कैसे जोड़ें। जिसको लेकर सपा ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। अंदेशा यह भी लगाया जा रह है कि सपा यह मुदा सदन में भी उठा सकती है। माना जा रहा है कि केशव मौर्य ने अखिलेश यादव को राजनैतिक पटखनी देने के लिए यह वक्तव्य दिया। शाम होते-होते जब तक यह मामला गरमाता उसके पहले ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने शनिवार को ट्विटर कर फिर से सियासी हलचल मचा दी है। उन्होंने ट्वीट किया कि कदम-कदम पर जातीय अपमान की पीड़ा से व्यथित होकर ही डॉ. अम्बेडकर ने कहा था कि 'मैं हिंदू धर्म में पैदा हुआ यह मेरे बस में नहीं था, लेकिन मैं हिंदू होकर नहीं मरूंगा, ये मेरे बस में है।' फलस्वरूप सन 1956 में नागपुर दीक्षाभूमि पर 10 लाख लोगों के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार किया। इसके बाद दूसरे ट्वीट में सवाल दागते हुए लिखा कि तत्कालीन उपप्रधानमंत्री, बाबू जगजीवन राम द्वारा उद्घाटित संपूर्णानंद मूर्ति का गंगा जल से धोना, तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के रिक्तोपरांत मुख्यमंत्री आवास को गोमूत्र से धोना व राष्ट्रपति कोविंद जी को सीकर ब्रह्मामंदिर में प्रवेश न देना शूद्र होने का अपमान नहीं तो क्या?
सपा जानती है कि भाजपा के पास सबसे मजबूत पिछड़े नेता केशव मौर्य हैं तो अखिलेश, रामगोपाल, शिवपाल और स्वामी प्रसाद मौर्य सब एक साथ केशव पर हमला करते हैं। भाजपाराज की सत्ता और संगठन में मलाई खाने के लिये दर्जनों पिछड़े नेता हैं। लेकिन वह केवल खानापूर्ति और सांकेतिक बन कर रह गये हैं। केशव को विपक्षियों से अकेले लड़ना पड़ता है। वह विपक्ष पर हमला भी करते हैं और विपक्ष के हमलों का बचाव भी करते हैं। जबकि दलितों और पिछड़ों के मुद्दे पर भाजपा के सवर्ण नेता खुद को दूर रखते हैं।
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