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शिवभक्ति में लीन रही काशी! जगह-जगह से निकली शिव बारात, काशी वासी बने बाराती

वाराणसी। महाशिवरात्रि पर पूरी काशी शिव भक्ति में लीन दिखी। महाशिरात्रि पर देवाधिदेव महादेव व माता गौरा के विवाह का दिन माना जाता है।ऐसे में पूरे काशी में जगह जगह से शिवबारात निकाली गई। सबसे पहले शिव बारात तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर से त निकाली गई। बारात पांडेय हवेली, देवनाथपुरा, पांडेय घाट होते हुए पुनः मंदिर आकर समाप्त हुई। शिव बारात में शामिल भक्त नाचते-गाते, शिव भक्ति में लीन में दिखे। 

 शिव बारात में घोड़ा,  सपेरा,  मदारी,  लौंग,  विमान,  भूत-पिशाच,  दिव्यांगों की टोली व काशी विश्वनाथ, महाकाल डमरु दल ने विशेष झांकी प्रस्तुत की। शिव बारात पांडेय हवेली, देवनाथपुरा, पांडेय घाट, राजा घाट, नारद घाट, मानसरोवर घाट, चौकी घाट, केदार घाट, सोनारपुरा चौराहा से हरिश्चन्द्र घाट, हनुमान घाट, चेतसिंह किला से पुनः सोनारपुरा, भेलूपुर, हनुमान मंदिर से होते हुए डेवरियाबीर से मंदिर प्रांगण में आकर शिव बरात समाप्त हुई। 

महाशिवरात्रि के अवसर पर सामने घाट स्थित  मृत्युंजय महादेव मंदिर में भव्य आयोजन किया गया।यहां प्रातः काल से ही दर्शनार्थियों के आने-जाने का क्रम शुरू हो गया था, जो पूरे दिन चला। मंदिर धार्मिक अनुष्ठानों के साथ भव्य शिव बारात का आयोजन भी किया गया। जो अपराहन में मंदिर प्रांगण से प्रारंभ होकर सामने घाट तिराहा होते हुए बीएचयू ट्रामा सेंटर मालवीय चौराहा से घूम कर वापस मंदिर प्रांगण में आकर संपन्न हुआ। शिव बारात में विशाल शिवलिंग लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा।इसके साथ ही विभिन्न देवी-देवताओं के पात्र भी रथ और घोड़ों पर सवार होकर चल रहे थे। शिवबारात में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल थे।जो रास्ते भर नाचते गाते, अबीर गुलाल उड़ाते हर हर महादेव का उद्घोष करते हुए वातावरण को शिवमय बनाते हुए चल रहे थे।

 दूसरी ओर टेढ़ी नीम स्थित महंत आवास पर शनिवार सुबह से ही विवाह की तैयारियां चल रही थीं। बाबा श्री काशी विश्वनाथ और माता गौरा की प्रतिमा का वर-वधू के रूप में शृंगार किया गया, उनकी चल प्रतिमा को सुंगधित फूल मालाओं से सजाया गया। बाबा विश्वनाथ के रजत विग्रह को मउर पहनाया गया। उसके बाद सात बजे फलाहर का भोग लगा। दोपहर मे ठंडई के साथ फलाहरी व्यंजन का भोग लगाकर दोपहर दो बजे के बाद संजीव प्रतिमाओं का राजसी श्रृंगार किया। सायंकाल बाबा को फूलों का सेहरा पहनाया गया।

सायं काल महंत आवास पर महिलाओं ने विवाह के मंगल लोकगीत गाते हुए परंपरा का निर्वाहन किया। विवाह आयोजन के लिए गवनहिरयों की टोली संध्या बेला में महंत आवास पर जमा हुईं। मंगल गीतों के गान के बीच बाबा को सेहरा बांधा गया। सभी रस्म महंत डा कुलपति तिवारी के सानिध्य में हुआ। मांगलिक गीतों से महंत आवास गुंजायमान रहा।

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