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यूपी के गौवंश आश्रयों में बदइंतजामी से मर रही गायें, मृत गाय को नोच रहे कुत्ते!


मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ।
उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार की गलत नीतियों के चलते किसान की फसल खतरे में है या गोवंश खतरे में है। सरकार अपने अहंकारी वर्ताव में थोड़ा भी परिवर्तन करती नहीं दिख रही है। नया प्रकरण लखीमपुर खीरी के संपूर्णानगर क्षेत्र के विशेनपुरी गांव का है। जहां बने अस्थायी गोआश्रय स्थल में चारे और ठंड से बचाव के कोई इंतजाम नहीं हैं। स्थिति यह है कि ठंड और भूख से गोवंश मर रहे हैं। गोशाला के गेट पर जहां ताला लटका रहता है। सोमवार को गोरक्षक भी नदारद थे। विशेनपुरी गांव में बनाए गए अस्थायी गोवंश आश्रय केंद्र में एक टिन शेड बना हुआ है। जिसमें बमुश्किल 50 गायें ही आ सकती हैं, लेकिन इस केंद्र में 130 गायों को रखा गया है। ठंड से गोवंश मर रहे हैं और उन्हें गोशाला के अंदर ही कुत्ते नोच रहे हैं। पशुओं को सही से चारा भी नहीं मिल पा रहा है।

गोशाला से जुड़े लोगों ने बताया कि ठंड व चारा न मिलने की वजह से गोवंश मरे हैं। मौके पर पहुंचे ग्राम प्रधान के पति विजय कुमार ने बताया कि दिन में तीन और रात में दो लोग ड्यूटी पर रहते हैं, गाय दोपहर में मरी है। एसडीएम कार्तिकेय सिंह ने बताया कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है। इसे दिखवाया जाएगा। साथ ही जांच भी कराई जाएगी। निघासन ब्लॉक में 65 ग्राम पंचायतों में मात्र सात गोशालाएं बनी हैं। इन गोशाला में गायों की स्थिति बहुत दयनीय है। मूर्तिहा, लालबोझी, चखरा, ढखेरवा खालसा में गायें हरे चारे को तरस रही हैं। मवेशी भूख से तड़प रहे हैं। ठंड से बचाव के लिए जानवरों के नीचे सूखी पत्तियां आदि भी नहीं पड़ी है। भूसा दाना तो दूर इन्हें समय से पानी भी नहीं मिल पा रहा है।

ग्रामीण बताते हैं कि भूसा रखा है, लेकिन रात से पहले नहीं दिया जाता है। हरा चारा और दाना प्रधान और सचिव नहीं दे रहे हैं। इससे गायों को सूखा भूसा खिलाया जा रहा है। मोहम्मदी के ग्राम पंचायत गुरैला के गांव अलीनगर में अस्थाई गोशाला में एक टीन शेड के नीचे 44 पशुओं को रखा गया है। जिले में निराश्रित पशुओं को आश्रय देने के लिए कुल 61 गोआश्रय स्थल बनाए गए हैं। इनमें 49 अस्थाई गोआश्रय स्थल, पांच वृहद गोआश्रय स्थल, जिला पंचायत से संचालित दो गोआश्रय स्थल हैं। इनके अलावा पांच गोआश्रय स्थल नगरीय निकायों से संचालित किए जा रहे हैं। इनमें 19,564 गोवंशीय पशुओं को रखा गया है।

गोशालाओं में पलने वाले पशुओं के पोषण के लिए सिर्फ 30 रुपया प्रति पशु के हिसाब से सरकार धनराशि देती है। यह धनराशि सिर्फ पशुओं के पोषण के लिए होती है, लेकिन कई गोशालाओं में गोवंशों में हरा चारा तो दूर भूसा भी नहीं नसीब हो रहा है।

'कहीं चारे की कमी नहीं है' जिला मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी सोमदेव सिंह चौहान ने कहा कि पशुओं के चारे के लिए सरकार से 30 रुपये प्रति पशु प्रतिदिन के हिसाब से दिया जाता है। गोआश्रय स्थलों की देखरेख और चारे की व्यवस्था ग्राम पंचायतें करती हैं। चारे की कमी को पूरा करने के लिए भूसा बैंक भी बनाए गए हैं। चारे की कहीं कमी नहीं है। समय-समय पर गोशालाओं का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं की पड़ताल की जाती है। जहां खामी दिखती है, उसे दूर किया जाता है।

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