मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। पीलीभीत के न्यूरिया क्षेत्र के टांडा बिजैसी गांव में युवक का शिकार करने के बाद बाघ लगातार गांव के आसपास घूम रहा है। जंगल सीमा से गांव तक बाघ की चहलकदमी बनी हुई है। निगरानी के लिए लगे कैमरों में भी बाघ की तस्वीरें कैद हुई हैं। इसके चलते डरे ग्रामीण रात जागकर काट रहे हैं। बाघ की लगातार चहलकदमी को देखते हुए वन विभाग के अफसर भी हैरान हैं। तीन टीमें बाघ की निगरानी में जुटी हैं। न्यूरिया क्षेत्र गांव टांडा बिजैसी में आठ जनवरी की रात राजमिस्त्री गोकुल मलिक को बाघ ने निवाला बनाया था। गांव से दो सौ मीटर की दूरी पर गन्ने के खेत में युवक का अधखाया शव बरामद हुआ था। ग्रामीणों के विरोध के बाद वन विभाग के अफसर गंभीर हुए थे। बाघ को कैद करने के लिए खेत में पिंजरा लगाने के साथ चार कैमरें भी लगाए गए थे। घटना के दो दिन तक बाघ की लोकेशन ट्रेस नहीं हो सकी थी, लेकिन इसके बाद बाघ फिर गांव के निकट देखा गया।अफसरों के निर्देश पर निगरानी बढ़ाकर कैमरों की संख्या आठ कर दी गई। घटनास्थल से लेकर जंगल सीमा तक कैमरें लगा दिए गए। दस दिन बाद भी बाघ की गांव के आसपास मौजूदगी बनी हुई है।वह एक स्थान पर न रुककर गांव और जंगल क्षेत्र की ओर चहलकदमी कर रहा है। बाघ की सक्रियता देख ग्रामीण डरे हुये हैं। उनका कहना है कि बाघ कभी भी हमलावर हो सकता है।
गांव की सीमा में सक्रिय बाघ की उत्तराखंड के जंगल की ओर लोकेशन देखी जा रही है। स्थिति पर नियंत्रण रखने के लिए दोनों सीमाओं के वन अफसर गंभीर हैं। विभाग की कई टीमें बाघ पर नजर रख रही हैं।गांव के हरदीप सिंह ने बताया कि युवक का शिकार करने के बाद से बाघ लगातार गांव के निकट घूम रहा है। इससे स्थिति कभी बिगड़ सकती है। रात जागकर काटनी पड़ रही है। भानु प्रताप सिंह ने कहाकि बाघ दिन में भी चहलकदमी करते हुए देखा जा रहा है। ऐसे में कभी भी गांव में घुसकर हमलावर हो सकता है। विभाग को बाघ को पकड़ने के प्रयास करने चाहिए।
सामाजिक वानिकी के रेंजर पीयूष मोहन श्रीवास्तव ने बताया कि बाघ उत्तराखंड की सुरई रेंज से निकलकर जंगल सीमा से सटे इलाके में देखा जा रहा है। निगरानी के लिए विभागीय टीम के साथ डब्ल्यटीआई और डब्ल्यूएफ की टीमें लगी हुई हैं।
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