देश में ३० फीसदी हैं इस कैंसर के मामले
मुंबई। मुंह के कैंसर का दवा विकसित कर हिंदुस्तानी वैज्ञानिक ने न केवल देश का नाम रोशन किया है, बल्कि पूरी दुनिया में डंका बजा दिया है। कैंसर की वेदना को कम करने और इलाज को सस्ता बनाने के लिए देश के इस वैज्ञानिक द्वारा किए गए इस शोध को दुनिया भर के चिकित्सा पत्रिकाओं ने हस्तक्षेप किया है। नैनो करक्यूमिन का उपयोग कर डॉ. विजय कनुरु ने मुंह के कैंसर के खिलाफ दवा विकसित की है। इसका चिकित्सा अनुसंधान के भी संतोषजनक निष्कर्ष सामने आए हैं। बता दें कि देश में कुल कैंसर के ३० फीसदी मामले मुंह के कैंसर हैं।
ऑन्कोकुर के बायो-नैनो वैज्ञानिक डॉ. विजय कानुरु ने शुरुआती चरण के मुंह के कैंसर के इलाज और रोकथाम के लिए प्रभावी नैनो दवा विकसित की है। इंडियन एसोसिएशन ऑफ ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल पैथोलॉजी द्वारा प्रकाशित एक प्रमुख चिकित्सा पत्रिका जर्नल ऑफ ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल पैथोलॉजी की रिपोर्ट में इस दवा की प्रभावशीलता और नैनो करक्यूमिन का उपयोग करके विकसित की गई ‘ब्रेकैन' को नैदानिक परीक्षणों को प्रलेखित किया गया है। बताया गया है कि यह शोध प्रारंभिक चरण के मौखिक कैंसर का इलाज गहन दवाओं के उपयोग के बिना करना संभव बना देगा। इतना ही नहीं भविष्य में कीमोथैरेपी और रेडिएशन जैसे इलाज पर निर्भरता भी कम होगी।
हिंदुस्थान में मुंह के कैंसर के सर्वाधिक मामले
हिंदुस्थान में मुंह के कैंसर के सबसे ज्यादा मामले हैं। देश में सभी प्रकार के कैंसर में 30 प्रतिशत मुंह का कैंसर है, क्योंकि प्रति एक लाख आबादी पर 20 लोग मुंह के कैंसर से प्रभावित हैं। हिंदुस्थान में मुंह के कैंसर के कारण हर घंटे पांच से अधिक लोगों की मौत होती है। डॉ. विजय कनुरू के मुताबिक इसलिए उनका लक्ष्य मुंह के कैंसर की रोकथाम के लिए एक उन्नत नैनो मेडिसिन विकसित करना था। मुंह के कैंसर के लिए विशेष रूप से कोई नैनो फॉर्मूलेशन विकसित नहीं किया गया था।' डॉ. विजय कानुरु के अनुसार कैंसर के प्रारंभिक चरण वाले 30 रोगियों पर क्लिनिकल परीक्षण किया गया था और इसके परिणाम बेहद सकारात्मक रहे।
घाव में आई कमी
परीक्षण के दौरान घाव के आकार में कमी, घावों की संख्या, बीमारी के चरण में कमी और सीरम सुपरऑक्साइड डिसूटेज (एसओडी) के स्तर में वृद्धि हुई। मरीजों को दर्द से भी राहत मिली। इससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में भी मदद मिली। ब्रेकॉन हानिकारक स्टेरॉयड के उपयोग के बिना शुरुआती चरण के कैंसर के घावों का इलाज करता है।
कैंसर को फिर से होने से रोकने में भी है सहायक
यह कैंसर के उपचार के दौरान और बाद में जहरीले केमो और दर्दनाक विकिरण उपचारों पर निर्भरता को भी रोक सकता है और कम कर सकता है। यह कैंसर को फिर से होने से रोकने में भी सहायक है। इस दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है और यह बेहद किफायती है।
मुँह के कैंसर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
लगभग 80% मुंह के कैंसर के मामले सिर्फ तंबाकू के उपयोग के कारण होते हैं।
मुंह के कैंसर होने की औसत आयु 50 साल है।|
पुरुषों में मुँह के कैंसर की दर महिलाओं की तुलना में काफी अधिक है और ये दरें उम्र के साथ बढ़ती हैं।
अगर शुरुआत में ही मुँह के कैंसर के लक्षण (Mouth cancer ke Lakshan) पहचान क्र इसका इलाज करा लिया जाये तो 82% आपके बचने की उम्मीद बढ़ जाती है।
वही अगर एडवांस स्टेज में इसकी पहचान क्र इलाज करा लिया जाये तो सर्वाइवल रेट 27% तक होता है।
मुंह के कैंसर के लक्षण (Mouth Cancer Symptoms in Hindi) दिखते ही तुरंत डेंटिस्ट को दिखाना चाहिए और बिना देर किये इसका सही से इलाज कराना चाहिए। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि भारतीय लोग ओरल हेल्थ का कुछ विशेष ध्यान नहीं रखते जिसके चलते उन्हें काफी अधिक मात्रा में मुंह से सम्बंधित बिमारियों का सामना करना पड़ता है। मुँह की सभी प्रकार की समस्याओं से बचने के लिए नियमित रूप से डेंटिस्ट के पास जाते रहना चाहिए और अपने मुँह और ओरल हेल्थ का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
मुंह का कैंसर क्या है?
मुंह का कैंसर यह तब होता है जब होठों पर या मुंह में कोशिकाएं उत्परिवर्तित होती हैं या अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं. मेयो क्लिनिक के अनुसार, कैंसर सपाट, पतली कोशिकाओं में शुरू होता है जो आपके होठों और आपके मुंह के अंदर की रेखा बनाते हैं. इन्हें स्क्वैमस सेल कहा जाता है और स्क्वैमस सेल के डीएनए में छोटे परिवर्तन कोशिकाओं को असामान्य रूप से विकसित करते हैं. इस तरह के लक्षणों से मुंह के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है.
मुंह के क्षेत्र जो प्रभावित हो सकते हैं
यूके नेशनल हेल्थ सर्विसेज (एनएचएस) के अनुसार, मुंह के कैंसर का एक ट्यूमर जीभ, मुंह, होंठ या मसूड़ों की सतह पर विकसित होता है. यह लार ग्रंथियों, टॉन्सिल और ग्रसनी में भी हो सकता है. आपके मुंह से गले का हिस्सा आपके विंडपाइप तक, मुंह के इन हिस्सों में ज्यादा जल्दी लक्षण दिख सकते है.
ध्यान देने योग्य लक्षण
मुंह के कैंसर के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:-
- दर्दनाक छाले जो कई हफ्तों में ठीक नहीं होते हैं.
- मुंह या गर्दन में अस्पष्टीकृत, लगातार गांठ बनना.|
- अस्पष्टीकृत ढीले दांत या सॉकेट जो निष्कर्षण के बाद ठीक नहीं होते हैं.
- अस्पष्टीकृत, लगातार सुन्न होना या होंठ या जीभ पर अजीब सा अहसास होना हैं.
- बहुत कम ही, मुंह या जीभ की परत पर सफेद या लाल धब्बे हो सकते हैं.
- वाणी में परिवर्तन, या तुतलाना.
आपको डॉक्टर के पास क्यों जाना चाहिए
मुंह के कैंसर के लक्षणों को आमतौर पर अन्य, कम गंभीर या सौम्य स्थितियों जैसे दांत दर्द या मुंह के छाले के लिए गलत माना जा सकता है. डॉक्टर से परामर्श करना और अपने लक्षणों की जांच करना सबसे अच्छा है. एनएचएस के अनुसार, शुरुआती पहचान आपके जीवित रहने की संभावना को 50% से 90% तक बढ़ा सकती है.
अपने जोखिम को कैसे कम करें?
मेयो क्लिनिक तम्बाकू का उपयोग छोड़ने की सिफारिश करता है, चाहे धूम्रपान किया गया हो या चबाया गया हो और शराब का सेवन सीमित किया गया हो. होठों पर अत्यधिक धूप के संपर्क में आने से बचना चाहिए. इसके अलावा, नियमित दांत परीक्षण के लिए दांत चिकित्सक के पास जाने की सलाह दी जाती है.
0 टिप्पणियाँ