मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। कानपुर के बाद फिरोजाबाद जिले में शीतलहर का सितम लोगों पर कहर बनकर टूट रहा है। इसके कारण लोगों में ब्रेन स्ट्रोक की स्थिति उत्पन्न हो रही है। मेडिकल कॉलेज में न्यूरो चिकित्सक की तैनाती नहीं है। इसलिए प्राईवेट ट्रामा सेंटर में नौ दिनों में 50 लोग ब्रेन स्ट्रोक से पहुंच चुके हैं। न्यूरोसर्जन डॉ. निमित गुप्ता ने बताया कि इसमें से 5 से 6 मरीज प्रतिदिन ब्रेन स्ट्रोक के मरीज आ रहे हैं। पहले सिर्फ बुजुर्गों में ही ब्रेन स्ट्रोक की संभावना रहती थी। इस बार बुजुर्गों के साथ युवा भी ब्रेन स्ट्रोक के शिकार हो गए हैं। उन्होंने कहा कि ठंड के मौसम बढ़ने के कारण ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे में लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है। हृदय रोग के मरीज ठंड के मौसम में विशेष ध्यान दें। क्योंकि उन्हें कभी भी ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में ठंड से बचने के लिए घरों में रहे और गुनगुने पानी का सेवन करें। कोई भी परेशानी हो तो चिकित्सक की सलाह पर दवा लें।
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न्यूरोसर्जन डॉ. निमित गुप्ता ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है, जिसमें ब्लड कलॉटेज के कारण ब्लॉकेज हो जाती है और दिमाग की कोई एक नस फट जाती है। सर्दियों में मौसम में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा इसलिए भी और बढ़ जाता क्योंकि दिमाग को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। जिसके कारण रक्तसंचार धीमा हो जाता है और मस्तिष्क के ऊतकों में पोषण तत्वों की कमी होने लगती है। इस कारण दिमाग की नस डैमेज होने लगती हैं। मस्तिष्क की नसें सिकुड़ जाती हैं और रक्त संचरण में बाधा के चलते रक्त वाहिका फट जाती है। अगर समय पर उपचार नहीं किया जाता है, तो मरीज को लकवा पड़ सकता है और जान जाने तक की स्थिति भी आ सकती है।
ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण
न्यूरोजर्सन के मुताबिक, ब्रेन स्ट्रोक होने के पहले शरीर में कुछ तरह के बदलाव महसूस होने लगते हैं, जिन्हें अनदेखा नहीं करना चाहिए। ब्रेन स्ट्रोक के लक्ष्णों में शामिल हैं। अचानक से आंखों की रोशनी में फर्क महसूस करना, चक्कर आना, सिर दर्द की समस्या, बोलने और समझने में परेशानी, सिर में दर्द महसूस करना, चलने में दिक्कत होना, उल्टी होना शामिल है।
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