उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव मैनपुरी से मैदान में हैं। समाजवादी उनकी जीत का दावा कर रहे हैं। बावजूद इसके सैफई परिवार में आई दरार भरे बिना इस सियासी भंवर को पार करना आसान नहीं होगा। डर सिर्फ शिवपाल से ही नहीं बल्कि और भी चेहरे हैं, जो डिंपल की जीत में बाधा बन सकते हैं। नेताजी के निजी निर्णय से लेकर राजनीतिक निर्णयों में भी शिवपाल सिंह यादव का बड़ा हस्तक्षेप रहा है। लेकिन साल 2017 में अखिलेश यादव के सीएम बनने के बाद परिवार में आई दरार से शिवपाल अलग हो गये। इसके बाद 2018 में शिवपाल ने अलग पार्टी बना ली।
2019 में मौनपुरी लोकसभा चुनाव हुआ तो शिवपाल ने यह कहते हुए अपना प्रत्याशी नहीं उतारा कि वे आजीवन मुलायम सिंह यादव का सम्मान करेंगे। बहरहाल, शिवपाल सिंह यादव ने पिछली बार की तरह ही इस बार भी मैनपुरी उपचुनाव में प्रसपा जिलाध्यक्ष को प्रत्याशी ना उतारने के संकेत दिये हैं। लेकिन सपा प्रत्याशी को समर्थन देने का निर्णय बाद में लेने की बात कही है। ऐसे में साफ है कि अब तक सैफई परिवार में आई दरार पूरी तरह से साफ नहीं हुई है। बता दें कि शिवपाल जसवंतनगर से विधायक हैं जो कि लोकसभा क्षेत्र मैनपुरी का ही हिस्सा है। कहा यह भी जाता है कि जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र लोकसभा चुनाव में सपा के लिए ट्रंप कार्ड साबित हुआ है। क्योंकि दो विधानसभा के मुकाबले अकेले जसवंतनगर में ही सपा को वोट मिल जाता है। ऐसे में बिना शिवपाल के ये वोट बैंक हासिल कर पाना कहीं ना कहीं सपा प्रत्याशी के लिए मुश्किल भरा हो सकता है।अब तक धर्मेंद्र यादव हों या पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव सभी परिवार एक होने की बात कह रहे हैं, जबकि इसपर अखिलेश या डिंपल की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। प्रदेश अध्यक्ष से अपर्णा की मुलाकात भी अहम अभी हाल ही में मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव लखनऊ में BJP प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी से मिलने पहुँची थीं। इस मुलाकात के बाद सियासी माहौल में गर्मी देखी गई। चर्चा उठी कि अपर्णा यादव को भाजपा मैनपुरी बतौर प्रत्याशी उतार सकती है। अगर ऐसा हुआ तो सैफई परिवार को एक और झटका मिल सकता है। नामांकन के दिन बहुत कुछ साफ होगा सपा नेता और सैफई परिवार का हर सदस्य एकजुटता का दावा करता है। लेकिन परिवार सच में एकजुट है ये आज सोमवार को होने वाले डिंपल के नामांकन में साफ हो जाएगा। इनपुट है कि डिंपल के नामांकन में सपा अध्यक्ष अखिलेश के अलावा प्रो. रामगोपाल यादव, धर्मेंद्र यादव के साथ तेजप्रताप यादव भी मौजूद रहेंगे। शिवपाल की मौजूदगी पर पार्टी पदाधिकारी कुछ भी बोलने से बचते रहे।
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