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पुलिस की हिरासत में मुर्दा! ....वाराणसी पुलिस ने 64 वीं बार दबोचा संतोष सिंह को

 


सरकारी अभिलेखों में मुर्दा घोषित का दावा करने वाले चिरईगांव ब्लाक के छितौनी के रहने वाले संतोष मूरत सिंह को एक बार फिर पीएम के आगमन से पहले पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। जिले में कभी भी कोई बड़ा वीआईपी का आगमन होता है तो विवादों में रहने के कारण पुलिस संतोष मूरत को थाने में बैठा लेती है। संतोष का कहना पुलिस ने मुर्दा को 64वीं बार हिरासत में लिया है।


संतोष की कहानी उन्हीं की जुबानी

मैं मुर्दा हूं, पर आम लोगों की तरह सब कुछ महसूस करता हूं, दस्तावेज में नाम नहीं पर बेनाम नाम नहीं हूं। जंग जारी रहेगी, जब तक सरकार मुर्दा को जिंदा घोषित नहीं कर देगी..

मैं संतोष मूरत सिंह वाराणसी के ग्राम छितौनी का निवासी हूं। सफर की कुछ यूं शुरुआत हुई। आंच फिल्म की शूटिंग के लिए सिनेस्टार नाना पाटेकर गांव आए थे। एक संयोग बना उन्हें खाना खिलाने का। दिल से खाना बनाया और उनके दिल में जगह बना ली।

मौका मिला मुंबई जाने का और उनका व्यक्तिगत रसोइया बन गया। एक लंबा समय माया नगरी में गुजारी, इसी बीच गांव लौटा तो संपत्ति के लालच में सगे पटीदारों ने दस्तावेजों में हेराफेरी कराकर मुझे मुर्दा घोषित करा दिया था और संपत्ति यानी जमीन जायदाद अपने नाम करा ली...। लेखपाल ने जो रिपोर्ट लगाई है वह भी इसे न्याय दिलाने के लिए नाकाफी है। दो दशक।से जिंदा होने की लड़ाई लड़ रहा हूं पर न्याय नहीं मिला। इस बीच राज्यपाल के सचिव ने डीएम वाराणसी को संतोष मूरत सिंह के जिंदा होने का प्रमाण देने के संबंध में एक आदेश भी पारित कर दिया है लेकिन एक साल बाद भी उस पर कुछ भी नहीं हुआ।

आला अधिकारियों को इस बात की चिंता नहीं कि कोई इंसाफ के लिए पिछले 20 वर्षों से संघर्ष कर रहा है उसकी भी कोई बात सुनी जाए। सिर्फ वीआइपी मूवमेंट के समय एक चीज याद रहती है कि संतोष को वाराणसी की चौबेपुर पुलिस धर लेती है और थाने या चौकी पर नजरबंद कर देती है।

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