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नवनीत राणा का दाऊद कनेक्शन!.... करीबी से लिया 80 लाख का लोन

 


मुंबई।अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा की मुश्किलें बढ़ती जा रही है,राष्ट्रद्रोह के मामले में सलाखों के पीछे गए राणा दंपत्ति पर एक और गंभीर आरोप लगा है।आरोप लगा है कि नवनीत राणा ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी युसूफ लकड़ावाला से बतौर कर्ज 80 लाख रुपय लिया है।जिसका सुबूत भी सोशल मिडिया पर डाला है।जिसमे स्पष्ट दीखता है की युसूफ लकड़ावाला के खाते से नवनीत राणा के बैंक खाते में 80 लाख रूपए ट्रांसफर हुए है।कहा जा रहा है की नवनीत राणा ने यह रकम लकड़वाला से बतौर लोन लिया है।इसको लेकर अब चर्चाएं जोर पकड़ ली है कि आखिर यूसुफ लकड़ावाला से राणा का अंडरवर्ल्ड कनेक्शन कैसे है ? इसी पर आधारित यह रिपोर्ट 

     बतादे कि शिवसेना नेता संजय राउत द्वारा एक चुनावी हलफनामा पेश कर नवनीत राणा के अंडरवर्ल्ड कनेक्शन को सामने रखा है। 200 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने जिस यूसुफ लकड़ावाला की गिरफ्तारी हुई उससे नवनीत राणा ने 80 लाख रुपए लिए थे। लकड़ावाला 'डी' गैंग का फाइनेंसर था और उसकी गिरफ्तारी के बाद ईडी ने उसके साथ लेन-देन करने वालों से पूछताछ की थी। 

युसूफ लकड़वाला के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच चल रही है पिछले दिनों उसकी मौत जेल में हो गई थी।सूत्रों के अनुसार पुलिस अब नवनीत राणा और लकड़ावाला के रिश्तों को गहराई से खंगालेगी,इसके बाद इनकी मुसीबत बढ़नी तय है।यूसुफ लकड़ावाला नाम अंडरवर्ल्ड से जुड़ा है  ।

दाऊद और राजन का यूसुफ रहा है करीबी

एजाज लकड़वाला पहले छोटा राजन का करीबी था। वर्ष 1993 में मुंबई ब्लास्ट के बाद वह दाऊद इब्राहिम के साथ देश छोड़कर दुबई भाग गया था। वहीं से दाऊद एजाज व छोटा राजन के जरिए मुंबई में गतिविधियां संचालित करने लगा। 2003 में विवाद होने पर छोटा राजन ने दाऊद का साथ छोड़ दिया। इसके बाद एजाज भी राजन के साथ आ गया। वर्ष 2003 में ही मुंबई पुलिस ने एजाज के दो शूटरों संजय गौतम व संजय ठाकुर को मुठभेड़ में मार गिराया था। तब उसने मुंबई से बाहर के रहने वाले हैंडलर की तलाश शुरू कर दी थी, तभी उसे यूसुफ लकड़वाला मिला। 

 बिल्डर भी था लकड़वाला

दाऊद इब्राहिम का करीबी यूसुफ लकड़ावाला मुंबई का बिल्डर भी है उसे धोखाधड़ी के मामले में आर्थिक अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया था।यूसुफ  खंडाला में यूसुफ की चार एकड़ जमीन पर नजर थी |  लेकिन उसे इसके मालिक के बारे में कोई जानकारी नहीं थी |  इसलिए कोई भी उस जमीन को खरीदने के लिए आगे नहीं आ रहा था।मोहन नायर के साथ यूसुफ ने इसे बेचने के लिए जमीन के जाली दस्तावेज बनाए और उसके लिए एजेंट बन गया।  तीनों ने 'एफिडेविट कम डीड ऑफ कन्फर्मेशन' बनाया और अपने फर्जी दस्तावेज को मावल में  सब-रजिस्ट्रार के कार्यालय में जमा कर दिए।घोरी ने इन दस्तावेजों पर मुंबई के पंजीकरण नंबर का इस्तेमाल किया | इस मामले में असली कागजात अभी भी गायब है | उन कागजातों को भी पुलिस तलाशने में जुटी है |

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