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अपर्णा के भाजपा में शामिल होने के बाद रीता बहुगुणा ने दिया बगावत का संकेत!

 


लखनऊ। मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को भाजपा में शामिल होते ही सांसद रीता बहुगुणा जोशी की भौंहें तन गयी है। 2017 में अपर्णा यादव लखनऊ कैंट सीट पर चुनाव लड़ कर रीता बहुगुणा जोशी के हाथों पराजित हुई थीं। माना जा रहा है कि अपर्णा लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी। 2019 में प्रयागराज से सांसद होने के बाद रीता को सीट छोड़ना पड़ा था। उपचुनाव में वह अपने बेटे मयंक जोशी के लिये भाजपा से टिकट मांग रही थीं। तब उन्हें परिवारवाद का आदर्श बता कर टिकट से वंचित कर दिया गया था।अब राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेटे सांसद राजवीर सिंह के पुत्र राज्य सरकार के मंत्री संदीप सिंह को अलीगढ़ की अतरौली सीट से प्रत्याशी बनाये जाने के बाद रीता जोशी भी बेटे के टिकट के लिये अड़ गयी हैं।उन्होंने कहा है कि मेरा बेटा मयंक जोशी 2009 से लखनऊ कैंट विधायक क्षेत्र में सक्रिय है। रीता के स्टैंड से भाजपा नेताओं के होश उड़ गये हैं। क्यों कि रीता के अलावा उनके भाई पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा उत्तराखंड भाजपा की कोर कमेटी के सदस्य हैं। उन्होंने बुधवार को कहा कि वह आगामी राज्य विधानसभा में अपने बेटे को टिकट देने के लिए भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा को भेजे गए प्रस्ताव के बारे में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के फैसले की प्रतीक्षा कर रही हैं। जोशी के करीबी सूत्रों ने कहा, रीता जोशी अपने प्रस्ताव पर पार्टी के फैसले का इंतजार कर रही हैं जो बुधवार की बैठक के बाद लिया जाएगा। जानकारी के अनुसार बहुगुणा उम्मीद कर रही हैं कि उनके निर्णय के बारे में उन्हें बता दिया जाएगा और उसी के अनुसार वह अपना अगला कदम उठाएंगी। 


भाजपा अध्यक्ष को भेजे पत्र में उन्होंने कहा था कि अगर पार्टी उनके बेटे को टिकट देने के बदले लोकसभा से हमारा इस्तीफा लेना चाहें तो हम दे देंगे।उन्होंने यह भी कहा था कि वह वैसे भी हमेशा बीजेपी के लिए काम करती रहेंगी और पार्टी प्रस्ताव को स्वीकार करने या न करने का विकल्प चुन सकती है।जोशी ने कहा, मैंने कई साल पहले ही घोषणा कर दी थी कि मैं चुनाव नहीं लड़ूंगी। इस बीच कयास लगाए जा रहे हैं कि जोशी समाजवादी पार्टी और राज्य की अन्य पार्टियों के संपर्क में हैं। इन अटकलों का जवाब देते हुए, जोशी ने बताया, मैं पिछले दस दिनों से दिल्ली में हूं और पार्टी के किसी अन्य नेता से नहीं मिली हूं और न ही मेरा इरादा है। मैंने अपना प्रस्ताव भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को दे दिया है और मैं उनके जवाब का धैर्यपूर्वक इंतजार करूंगी। बता दें कि जोशी 24 वर्षों तक कांग्रेस की सेवा करने के बाद 2016 में भाजपा में शामिल हो गई थीं।  

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