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अफगानिस्तान पर तालिबानी राज! डूबा हिंदुस्थानी कामकाज


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तालिबानियों ने रोका आयात निर्यात व्यापार
⦿ तीन हजार अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान
⦿ हिंदुस्थान में  ड्राईफ्रूट्स होंगे महंगे

नई दिल्ली। तालिबानियों के अफगानिस्तान पर कब्जे के साथ ही हिंदुस्थान को बहुत बड़ी वित्तीय हानि उठानी पड़ी है। तालिबानियों के राज आने पर हिंदुस्थान का कामकाज डूब गया है। बीते दो दशक में हिंदुस्तान ने अफगानिस्तान को खड़ा करने में अरबों डॉलर झोंके हैं। हिंदुस्तान ने 3 अरब डॉलर से अधिक के निवेश किए हैं। उन सब पर ग्रहण लग गया है। तालिबानी राज में दोनों देशों के बीच होने वाले आयात निर्यात के व्यापार को रोक दिया गया है। इससे एक हजार डॉलर से ज्यादा के व्यापार से भी हिंदुस्तान को हाथ धोना पड़ा है।

हिंदुस्थान और अफगानिस्तान के संबंध सदियों पुराने हैं। दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध बेहतर रहे हैं। अफगानिस्तान से 2001 में तालिबान का कब्जा हटा था। तब से अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी में अफगान सरकार के कार्यकाल में हिंदुस्तान ने सैकड़ों प्रोजेक्ट में निवेश किए हैं।  9/11 हमले के बाद जब अमेरिकी सेना वहां पहुंची और सुरक्षा के हालात बेहतर होने लगे तो हिंदुस्थान के साथ अफगानिस्तान की संबंधों मैं सुधार आए। अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में हिंदुस्थान ने भरपूर मदद पहुंचाई। हिंदुस्थान ने वहां महत्वपूर्ण सड़कें बनवाई हैं, डैम बनवाए हैं, बिजली लाइनें बिछाईं, स्कूल और अस्पताल बनाए हैं।

अफगानिस्तान का कोई भी हिस्सा नहीं है, जहां हिंदुस्थान के 400 से ज्यादा परियोजनाएं ना हों। अफगानिस्तान के हेरात प्रांत मे 42 मेगावॉट का सलमा डैम प्रोजेक्ट है। जरांज-देलाराम हाई-वे के साथ हिंदुस्तान ने काबुल में चिल्ड्रेन हॉस्पिटल का भी पुनर्निर्माण कराया है। हिंदुस्थान ने अफगानिस्तान के सीमावर्ती प्रांतों बदख्शां, बल्ख, कंधार, खोस्त, कुनार, नंगरहार, निमरूज, नूरिस्तान, पक्तिया और पक्तिका में भी हेल्थ क्लीनिकों का निर्माण कराया है। परिवहन क्षेत्र में हिंदुस्तान ने अफगानिस्तान की बड़ी मदद की है। हिंदुस्तान ने अफगानिस्तान को विद्युत परियोजनाओं और बाकी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में सहयोग किया है। कई परियोजनाएं ऐसी हैं, जिस पर काम चल रहा था। 

हिंदुस्तान ने अफगानिस्तान में परिवहन विकास के लिए 400 बसें और 200 मिनी बसें तोहफे में दिए हैं। इसके अलावा निगमों के लिए 105 यूटिलिटी बसें, 285 सैन्य वाहन दिए हैं। कई एंबुलेंस भी हिंदुस्तान की ओर से अफगानिस्तान को गिफ्ट की गई हैं। साथ ही हिंदुस्तान ने अफगानिस्तान को 3 विमान दिए हैं।

हिंदुस्थान में  ड्राईफ्रूट्स होंगे महंगे

तालिबान ने अफगानिस्तान पर अपना नियंत्रण बनाने के साथ ही भारत के साथ व्यापार रोक दिया है। अब न तो काबुल को कुछ निर्यात किया जा सकता है और न ही वहां से किसी चीज का आयात संभव है। इसके चलते बाजार में ड्राईफ्रूट्स आदि के महंगा होने की संभावना जताई जा रही है।

भारतीय निर्यात संगठन महासंघ (एफआईईओ) के महानिदेशक डॉ. अजय सहाय ने कहा, हम अफगानिस्तान में चल रहे घटनाक्रम पर करीबी नजर बनाए हुए हैं। भारत के लिए आयात पाकिस्तान के ट्रांजिट मार्ग के जरिये होता है।

फिलहाल तालिबान ने पाकिस्तान के लिए जाने वाले सभी कार्गो रोक दिए हैं। इसलिए वर्चुअली आयात भी थम गया है। सहाय ने कहा, कुछ उत्पाद अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के जरिये भेजे जाते हैं, जो अब भी काम कर रहा है।

दुबई के रास्ते भेजे जाने वाले उत्पादों की राह भी फिलहाल बंद नहीं हुई है। एफआईईओ डीजी ने अफगानिस्तान में तेजी से बदल रहे हालातों के बावजूद भारत के व्यापारिक रिश्ते बने रहने की आशा जताई।


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