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कुएं के ऊपर रेलवे पटरी ! ट्रैक से धड़धड़ाती गुजर गई ट्रेन


• धंसा कुआं, मचा हड़कंप..टला भीषण हादसा

• पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र के समीप वाराणसी-प्रयागराज रेलखंड पर सामने आई रेलकर्मियों की भयंकर लापरवाही

भदोही। ये कोई सनसनीखेज 'फिल्मी सीन' नहीं सच्ची घटना है ! रेलवे के घोर लापरवाह अफसरों ने पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के समीप भदोही जिले में

वाराणसी-प्रयागराज रेलखंड पर कुएं को बगैर कायदे से पाटे ही उसके ऊपर रेलवे ट्रैक बिछवा दिया। इस नवनिर्मित ट्रैक पर से धड़धड़ाती हुई पैसेंजर ट्रेन व मालगाड़ी भी गुजर गई। जिससे  बुधवार को अचानक ट्रैक के नीचे स्थित कुआं धंस गया। ईश्वर कृपा भीषण हादसा टल गया। सुबह जब ग्रामीणों की नजर पड़ी तो हड़कंप मच गया। आनन-फानन गाड़ियां रोकी गईं और घंटों ट्रैक की मरम्मत की जाती रही। कुएं को  पुनः ठीक से पाटा गया। तब जाकर रेल पटरी के हालात सामान्य हो सके। अलबत्ता इस घोर लापरवाही को लेकर विभागीय उच्चाधिकारी सकते में हैं। मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

वाकया मंगलवार-बुधवार का है। पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी-प्रयागराज रेल खंड के दोहरीकरण के दौरान रेलवे ट्रैक का नए सिरे से पुनर्निर्माण किया गया है। जिसमें व्यापक पैमाने पर लापरवाही बरते जाने के संकेत मिल रहे हैं। इसी रेलखंड पर गोपीगंज क्षेत्र में गोपपुर गांव के सामने पुराने कुएं को पाट कर रेलवे अफसरों ने ट्रैक निर्मित करा दिया था। रात में ही किसी समय ट्रैक धंस गया। इसकी सूचना रेलवे पटरी की सुरक्षा करने वाले दस्ते को बुधवार की  ग्रामीणों व गेटमैन के जरिये मिली। जिससे प्रयागराज से लेकर काशी तक रेलवे में हड़कंप मच गया। हालांकि इसके पहले ही इसी ट्रैक पर से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सुरफास्ट एक्सप्रेस और मालगाड़ी गुजर चुकी थी। इस बीच वाराणसी की ओर से आ रही चौरीचौरा एक्सप्रेस को दो घंटे तक रोकने के बाद वापस अहिमनपुर रेलवे स्टेशन ले जाकर पुराने रेलवे ट्रैक से ट्रेन का संचालन किया जा सका। इसके चलते इस रुट पर चलने वाली कई ट्रेनें जगह-जगह रोक दी गईं। चौरीचौरा एक्सप्रेस जहां तीन घंटे देरी से रवाना हुई, वहीं रांची कुर्ला, डेमू व लिच्छवी एक्सप्रेस का परिचालन भी बाधित रहा। उधर, अवर अभियंता रविशंकर सोनी व विनोद कुमार ने रेलकर्मियों को बुलवाया और ट्रैक दुरुस्त कराने में जुटे रहे।  सेक्सन अभियंता अशोक कुमार सुमन ने भी मौका मुआयना किया। करीब पौने आठ घंटे तक मरम्मत होती रही। तब जाकर ट्रैक का पुनः संचालन हो सका।

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