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अलीगढ़ में मौत का सन्नाटा! जहरीली शराब से मरनेवालों की संख्या 42 तक पहुंची

 


प्रशासन छुपा रहा मौत के आंकड़े!

अलीगढ़ में जहरीली शराब से मरनेवालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। शुक्रवार से अब तक 42 शव पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी पहुंचे हैं। यह संख्या बढ़ भी सकती है। हालांकि डीएम ने दोपहर दो बजे तक शराब से सिर्फ 22 लोगों की मौत की पुष्टि की है। जिनके पोस्टमार्टम रात 2 बजे तक हुए थे। शासन 25 से ज्यादा की पुष्टि करने से कतरा रहा है। शवों के साथ आए लोगों का आरोप है कि प्रशासन मौतों के आंकड़े छुपा रहा है। जो लोग अलीगढ़ के बाहर जाकर भर्ती हुए और मर गए उनके शव यहां आ नहीं पाए। न ही मृतकों में उनकी गिनती हो पा रही है। ऐसे मृतकों के परिजन बहुत परेशान हैं क्योंकि यदि उनकी गणना नहीं होगी तो उन्हें सरकारी अनुदान से वंचित कर दिया जाएगा। हालांकि कुछ लोग ऐसे परिवारों को ढांढस बंधा रहे हैं कि बहुत शोर-शराबा मीडियाबाजी में न पड़ो, सबको बराबर मुआवजा मिलेगा। मृतकों की वास्तविक संख्या की पुष्टि देर रात तक होने की उम्मीद है। आईबी व अन्य एजेंसियों ने पोस्टमार्टम केंद्र पर डेरा डाल रखा है। पल-पल की रिपोर्ट शासन को दी जा रही है। आबकारी आयुक्त फोन पर आने से कतरा रहे हैं। आबकारी मंत्री यह नहीं बता रहे हैं कि उनके कार्यकाल में जहरीली शराब से कितनी मौतें हुईं।

बता दें कि शनिवार को थाना पिसावा इलाके के गांव शादीपुर में एक महिला समेत पांच लोगों की और थाना टप्पल के गांव मादक और कस्बा जट्टारी में चार लोगों की मौत हो गई। लोधा के करसुआ बॉटलिंग प्लांट के बाहर एक ट्रक चालक भी मृत पाया गया है। थाना टप्पल व पिसावा के करीब चार लोग गंभीर हैं, जिन्हें जेवर के कैलाश अस्पताल व अलीगढ़ में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है, वहीं मृतकों के परिजनों ने पोस्टमार्टम हाउस पर शवों का पोस्टमार्टम नहीं होने का आरोप लगाते हुए प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है।

हालांकि लापरवाही के आरोप में सरकार ने जिला आबकारी अधिकारी धीरज शर्मा, आबकारी निरीक्षक राजेश यादव, प्रधान सिपाही अशोक कुमार, निरीक्षक चंद्रप्रकाश यादव और सिपाही रामराज राना को निलंबित कर दिया है। पुलिस ने तीन मुकदमे दर्ज कर शराब तस्करी रैकेट में आरोपी अनिल चौधरी सहित पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। दो मुख्य आरोपी फरार हैं, जिन पर 50-50 हजार का इनाम घोषित किया गया है।

मजिस्ट्रेटी जांच शुरू...जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह के आदेश पर एडीएम प्रशासन ने मजिस्ट्रेटी जांच शुरू की। 15 दिन में रिपोर्ट सौंपेंगे।

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