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वाराणसी में कोरोना का कहर, वाराणसी के श्मशान घाटों पर लगी शवों की लंबी लाइन

 


कोरोना महामारी इन दिनों वाराणसी में अपना जबर्दस्त कहर बरपा रहा है। शुक्रवार को भी यहाँ कोरोना के 2002 पॉज़िटिव मरीज मिले है, जबकि एक दिन पूर्व यहाँ 2484 मिले थे। कोरोना के कहर और भीषण गर्मी के चलते वाराणसी के महाश्मशान मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर इन दिनों बुरा हाल है। चूंकि वाराणसी सहित आसपास के जनपदों के कोविड से मरने वाले मरीज़ों को हरिश्चंद्र घाट पर ही लाकर जलाया जा रहा है। ऐसे में गैस द्वारा चलने वाले इस शवदाह गृह के बाहर अव्यवस्थाओं का बोल बाला है साथ ही लम्बी वोटिंग लिस्ट भी है।


वहीं मणिकर्णिका महाश्मशान पर रोज़ 150 शवों का दाह संस्कार हो रहा है पर शवदाह स्थल के विश्वनाथ कॉरिडोर में अधिग्रहण होने के बाद जगह की कमी की वजह से काफी समय बाद लोगों का शवदाह के लिए नंबर आ रहा है।

इस सम्बन्ध में मणिकर्णिका श्मशान के डोमराजा परिवार के शालू चौधरी ने बताया कि प्रतिदिन आज कल 150 से ज़्यादा डेड बॉडी यहां आ रही है। विश्वनाथ कॉरिडोर में यहां का हिस्सा चले जाने से लाशों को जलाने के जगह की कमी हो गयी है, जिसकी वजह से शवों को लेकर आने वाले शवयात्रियों को 4 से 5 घंटे लग रहे हैं। इस समय गर्मी की वजह से शवों की संख्या ज़्यादा है। इसके अलावा कॉरिडोर में कुछ जगह जाने से एक बार में सिर्फ 20 से 25 लाशें जल रही है।

शालू चौधरी ने बताया कि कोविड से मरने वालों को हरिश्चंद्र घाट पर जलाया जा रहा है पर इतनी लाश रोज़ आ रही है उसमें पता लगना असंभव है कि कौन से कोविड की है और कौन सी नहीं, जिसकी वजह से खतरा बना हुआ है।
वहीं हरिश्चंद्र श्मशान घाट पर भी शवों को जलाने के लिए लोगों की लाइन लगी हुई है। पहली बार घाट के पूरे एरिया में शवों को जलाया जा रहा है। यहाँ बने गैस द्वारा शवदाह स्थल पर 15 शवों की वेटिंग चल रही है। चूंकि इसी श्मशान पर कोविड पॉज़िटिव मरीज़ों को भी मृत्यु के बाद जलाया जा रहा है, जिसके चलते यहाँ भारी लापरवाही देखने को मिल रही है। शवों को लेकर आने वाले अपना पीपीई किट घाट पर छोड़कर चले जा रहे हैं।


इसके अलावा यहाँ लकड़ी की भी कमी देखने को मिल रही है। अपने परिचित की पत्नी का शव लेकर पहुंचे रविंद्र गिरी ने बताया कि घाट का इतना वीभत्स दृश्य पहली बार देखने को मिला है। लकड़ी की कमी और जगह की कमी की वजह से बहुत मिन्नत के बाद गीली लकड़ियां मिली है जिसके बाद हमने शव को 6 घंटे बाद जलाना शुरू किया है। वहीं जब उनसे पूछा गया कि गैस शवदाह गृह में क्यों नहीं जलाया तो उन्होंने कहा कि वहां एक घंटा एक शव में लग रहा है लेकिन 15 लोगों की लाइन लगी है। उन्होंने बताया कि 20 शव जल रहा है और 20 से अधिक वेटिंग में और ऊपर गैस वाले शवदाह गृह में भी 15 से 20 की वोटिंग है।

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