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परदेसियों से जरा दूरी बनाना: उत्तर प्रदेश में सावधानी बरतने की जरूरत है नहीं तो कोरोना वायरस बना सकता अपना गढ़



रामसमुझ यादव / मुंबई। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की सरगर्मियों के साथ कोरोना वायरस की रफ्तार भी तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में परदेसियों का घर आकर मतदान करना गांव व क्षेत्रवासियों को महंगा पड़ सकता है। मुंबई, दिल्ली, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा से मतदान करने आने वाले परदेसी बाबू अपने अपने साथ कोरोना वायरस का संक्रमण भी ला सकते हैं, जिससे प्रदेश में कोविड-19 महामारी घातक रूप ले सकती है।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में प्रधान पद के अनेक दावेदारों ने दिल्ली, मुंबई, लुधियाना, सूरत, मध्य प्रदेश समेत अन्य स्थानों पर काम करने वाले परदेसियों से संपर्क साध कर उन्हें मतदान करने आने के लिए किराया भी भेज दिया है। परदेसी बाबू मतदान में भाग लेने की योजना के साथ आश्वासन भी दे चुके हैं कि मतदान के दो दिन पहले वह आ जाएंगे, परंतु इधर अभी हाल में कोरोना वायरस महामारी के बढ़ते मामलों को लेकर प्रदेश सरकार भी चिंतित है। निरंतर रोकथाम के साथ वैक्सीनेशन भी किया जा रहा है, परंतु कोरोना की रफ्तार धीमी होने की जगह दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

नोडल अधिकारी करेंगे निगरानी:

 इसी को ध्यान में रखकर सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र में गांव स्तर पर तथा नगर क्षेत्र में वार्ड स्तर पर नोडल अधिकारियों की नियुक्ति कर दी है। इनको गांव या नगर में बाहर या अन्य प्रदेशों से आने वाले लोगों पर नजर रखनी होगी तथा उनकी कोरोना वायरस जांच और उनकी रिपोर्ट आने तक उन्हें घर से बाहर जाने की अनुमति नहीं होगी। यदि रिपोर्ट पॉजिटिव होगी तो उन्हें घरों में आइसोलेट होना पड़ेगा। यदि निगेटिव रही तो उन्हें मास्क एवं 2 गज दूरी का पालन करते हुए गांव में टहलने की अनुमति मिलेगी। कुल मिलाकर परदेसियों का पंचायत चुनाव में मतदान करने की डगर बहुत सरल नहीं है।

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