- सुल्तानपुर में पड़े छापे
- कई क्विंटल मछलियां बरामद
- कई कारोबारी चिह्नित
इंसानी सेहत के लिए खतरनाक प्रतिबंधित थाई मांगुर मछलियां पूर्वी उत्तर प्रदेश में धड़ल्ले से बिक रही हैं। रविवार को सुल्तानपुर जिले के ग्रामीणांचल में पड़े मत्स्य पालन व पुलिस विभाग के संयुक्त छापे में इसकी पुष्टि हो गई। तीन कस्बों के ग्रामीण बाजारों में छापेमार टीम के पहुंचने पर इस अवैध धंधे में संलिप्त कारोबारी माल और दुकान छोड़कर भागे। डेढ़ क्विंटल के करीब जिंदा थाई मांगुर जब्त कर ली गईं। साथ- साथ कारोबारियों को भी चिह्नित करके कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
मानव स्वास्थ्य व जलीय जंतुओं के लिए अत्यंत हानिकारक थाई मांगुर का सेवन व इनकी बिक्री यूपी में यूं तो कागज पर वर्षों से प्रतिबंधित है लेकिन इसके बावजूद तस्करी करके इन्हें खुलेआम लाकर बेचा जा रहा है जबकि शासन ने प्रत्येक जिले में पुलिस-प्रशासन व मत्स्य पालन विभाग की संयुक्त छापामार टीमें बना रखी हैं। सुल्तानपुर में रविवार को मत्स्य पालन विभाग के इंस्पेक्टर वीएन तिवारी व पुलिस सब इंस्पेक्टर हरभजन सिंह चीमा के नेतृत्व में सक्रिय दस्ते ने ताबड़तोड़ छापे मारे। कूरेभार, पाराबाजार व धनपतगंज में छापामार दस्ता पहुंचा तो बड़े पैमाने पर सड़कों के किनारे ही प्रतिबंधित मछलियों का कारोबार संचालित नजर आया। हालांकि टीम के आते ही कारोबारी दुकानें छोड़-छोड़कर भागे, कुछ पकड़े भी गए। प्रतिबंधित मछलियों को जब्त कर उन्हें नष्ट कराया गया। कारोबारियों के खिलाफ मछली पालन विभाग ने सख्त कार्रवाई के संकेत दिए हैं।
...इसलिए नुकसानदेह है थाई मछली
मूलतः थाईलैंड प्रजाति की मांगुर मछली मांसाहारी होती है और भारतीय पर्यावरण व मानव स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं होतीं। मत्स्य पालन विभाग के निरीक्षक वीएन तिवारी बताते हैं, ये मछलियां नदी में सड़े-गले जीव जंतुओं का मांस खाया करती हैं। अक्सर अन्य प्रजाति की साथी मछलियों को भी थाई मांगुर खा जाती हैं। इनके जरिए नदियों तालाबों में रहनेवाली अन्य मछलियां संक्रमित हो जाती हैं। मांगुर मछलियों की त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं। इनका सेवन करनेवालों को कैंसर रोग का खतरा बढ़ जाता है, जिसकी वजह से बीस वर्षों से थाई मांगुर की बिक्री पर सरकार ने रोक लगा रखी है।
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